सीहोर

नहीं थम रहा मछुआ समितियों का फर्जीवाड़ा, अब आष्टा में सामने आया

मुख्यमंत्री के नाम दिया मछुआरों ने जनसुनवाई में डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन

सीहोर। जिले में मछली पालन के क्षेत्र मेें कार्य कर रही सहकारी समितियों के फर्जीबाड़े खत्म ही नहीं हो रहे हैं। इन समितियों के फर्जीबाड़े के कारण जिले की सभी 73 मछुआ समितियों को बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन फिर भी इनका फर्जीबाड़ा नहीं रूक रहा है। अब आष्टा स्थित मछुआ सहकारी समिति की गड़बड़ी सामने आई है। इसको लेकर मछुआरोें ने मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचकर इसकी शिकायत की है।
मतस्योद्योग सहकारी समिति आष्टा फर्जी सदस्यों के नाम पर चल रही है। नवीन मतस्योद्योग सहकारी समिति के सदस्यों ने ही उक्त आरोप लगाया है। नगरपालिका आष्टा परिषद के स्वामित्व में हनुमानगढ़ी लाला, मतस्य पालन के लिए गैर मछुआरों को पट्टे दे दिए गए हैं। धोखाधड़ी कर अध्यक्ष ने मछुआरों के नाम समिति में दर्ज कर लिए हैं। समिति में रहते हुए भी वास्ताविक मछुआरों को कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे मछुआरों ने गैर मछुआरा ठेकेदार द्वारा मत्स्य निरीक्षक तथा अधिकारी से सांठ-गाठ करने का आरोप भी लगाया है। मछुआरों ने मुख्यमंत्री के नाम डिप्टी कलेक्टर प्रगति वर्मा को ज्ञापन देकर नवीन मतस्योद्योग सहकारी समिति को भंग करने और असली मछुआरों को रोजगार उपलब्ध कराकर गैर कानूनी कार्य करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
ये है मामला-
कलेक्ट्रेट पहुंचे मछुआरों ने बताया कि नवीन मतस्योद्योग सहकारी समिति आष्टा की आष्टा नगरपालिका स्वामित्व हनुमानगढ़ी तालाब शासन के नियमानुसार आवंटित किया गया है। तालाब में हम वर्षों से मजदूरी पर मछली पालन का कार्य कर हैं, जबकि भोपाल स्थित मतस्य विभाग कार्यालय से सुचना के अधिकार अंतर्गत निकलवाई गई सूची में हम सभी सदस्य हैं और ठेकेदारी में पार्टनर हैं। इसके अलावा समिति के अध्यक्ष अतीक बारी ने गैर मछुआ समाज की महिलाओं और पुरूषों को भी फर्जी रूप से सदस्य बना दिया है।
नवीन सहकारी समिति पर गैर मछुआ परिवार का कब्जा होने से असली मछुआरों को कुछ भी लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 20 जनवरी को फर्जी सदस्यों को निकालकर वास्तविक मछुआरे परिवारों को रोजगार देने के निर्देश दिए हैं, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई भी कार्रवाई विभाग द्वारा नहीं की गई है। इधर समिति में सदस्य होने के बाद भी असली मछुआरे रोजगार को तरस रहे हैं। इधर नवीन मतस्योद्योग सहकारी समिति आष्टा पर गैर मछुआ एवं एक ही परिवार के लोगों ने कब्जा कर रखा है। जबकि प्रदेश में तय की गई मछुआ नीति एवं निर्देश के मुताबिक समिति में अगर अन्य जाति वर्ग के फर्जी सदस्य समिति में सम्मिलित किए जाते हैं तो उन्हें हटा दिया जाकर इच्छुक वंशानुगत मछुआ जाति के सदस्यों को सम्मिलित किया जाएगा। ज्ञापन देने वालों में लाखन, मनोज, राजेश, मांगीलाल राकेश विजय, बाबूलाल, पूजा, काला, सुनीता, दीना, नीतू, मंजू, पूजा, मालती, रज्जू गोड़ जारती, अजय आदि मछुआ समाज के नागरिक शामिल रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button