“गूंद गूंद लाओ री मालनिया…”
भोपाल
प्रतिभावान युवा गायक राहुल मिश्रा व रोहित मिश्रा की जोड़ी ने जब अपनी दानेदार व बुलंद आवाज़ में राग "देशी तोड़ी" और तीन ताल में निबद्ध छोटा ख्याल "गूंद गूंद लाओ री मालनिया…" का गायन किया तो बनारस घराने की गायकी जीवंत हो उठी।
तानसेन समारोह में मंगलवार की प्रातःकालीन सभा में चौथे कलाकार के रूप में बनारस घराने की इस युवा जोड़ी की प्रस्तुति हुई। राग "देशी तोड़ी" में सुंदर रागदारी के साथ बड़ा ख्याल पेश किया। एक ताल में निबद्ध बंदिश के बोल थे "चैन न आवे"। इसके बाद द्रुत गति में बंदिश गाकर अपने गायन को ऊँचाइयाँ तक पहुंचाया। युवा गायकों की जोड़ी ने रसिकों की फरमाइश पर जब बनारस घराने का प्रसिद्धि टप्पा "गुलशन में बुलबुल चहकी.." गाकर सुनाया तो सभी मंत्रमुग्ध हो गए। प्रसिद्ध ठुमरी "गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे.." और एक भजन सुनाकर अपने गायन को विराम दिया।
गायन की जुगलबंदी में हारमोनियम पर पंडित धर्मनाथ मिश्र, तबले पर श्री अंशुल प्रताप सिंह और सारंगी पर उस्ताद मजीद खान ने नफासत भरी और कमाल की संगत की।