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भारत से भेजे गए गेंहू की खेप को तुर्की ने लेने से किया इनकार

नई दिल्ली
तुर्की प्रशासन ने भारत द्वारा भेजे गए गेंहू की खेप को अस्वीकार कर दिया है। तुर्की के अधिकारियों ने गेंहू की इस खेप में फाइटोसैनिटरी की शिकायत करते हुए इस खेप को लेने से इनकार कर दिया। जिसके बाद 29 मई को जो शिव यह खेप लेकर तुर्की पहुंचा था उसे वापस लौटना पड़ा। गेंहू की इस 15 मिलियन टन खेप के वापस आने से भारत के व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ गई है। एस एंड पी ग्लोबल कमोडिटी के अनुसार एमवी इंसे एकडेनिज में 56877 टन गेंह लोड करके भेजा गया था, जोकि अब कंडला पोर्ट से वापस आ रहा है।
 
एस एंड पी की ओर से कहा गया है कि गेंहू की खेप में रूबेला नाम की बीमारी थी, जिसके चलते तुर्की के कृषि मंत्रालय ने इसे लेने से इनकार कर दिया। हालांकि इस बाबत भारत के कृषि मंत्री की ओर से अभी तक कुछ नहीं कहा गया है। बता दें कि इन शिपमेंट को भारत द्वारा गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने से पहले भेजा गया था। इसे एक प्राइवेट कंपनी की ओर से भेजा गया था। अप्रैल में महंगाई दर बढ़ने के बाद भारत ने गेंहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। पिछले महीने गेंहूं के दाम में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिली, जिसके चलते गेंहूं के निर्यात को रोक दिया गया था। हालांकि सरकार ने प्रतिबंध से पहले जो कंसाइनमेंट रवाना हो चुके हैं उसपर यह प्रतिबंध नहीं लगाया था।

ट्रेडिंग फर्म कॉमट्रेड के अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि भारतीय पौधों में रुबेल बीमारी गंभीर समस्या है, जिसके चलते विदेश भेजे जाने वाले कंसाइनमेंट में दिक्कत आती है, यह अपने आप में शायद पहला ऐसा मौका है जब भारत के गेंहू को वापस लौटाया गया है लिहाजा यह गंभीर मुद्दा है। हालांकि भारत एक बड़ा गेंहू का निर्यातक देश नहीं है, कई और देश भी हैं जो गेंहू का निर्यात करते हैं लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इसके निर्यात पर असर पड़ा है। मार्च 2022 में निर्यातकों ने तकरीबन 7 मिलियन टन गेहू का निर्यात किया था। यूक्रेन युद्ध के चलते भारत के पास गेंहूं के निर्यात का बड़ा मौका है।

 

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