पटना, लखनऊ, रांची जैसे शहरों को भी मिलेगा ‘वंदे भारत’, 44 नए रूट पर दौड़ेगी यह हाई स्पीड ट्रेन
नई दिल्ली
स्वदेशी तकनीक से निर्मित सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस अगले साल नए अवतार में 44 रूट पर दौड़ेंगी। रेलवे ने मार्च तक दो वंदे भारत एक्सप्रेस (प्रोटोटाइप) चलाने की तैयारी पूरी कर ली है। जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 42 वंदे भारत दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पटना, लखनऊ, देहरादून, रांची, भोपाल, चेन्नई, जयपुर आदि बड़े शहरों के बीच दौड़ने लगेंगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रोटोटाइप चलाने की तैयारी पूरी कर ली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2021 को लाल किले से 75 हफ्तों (लगभग डेढ़ साल) में 75 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (ट्रेन-18) देश के हर कोने से जोड़ने की घोषणा की थी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय कंपनियों को तकनीकी-वित्तीय योग्यता के अनुरूप टेंडर प्रक्रिया में बदलाव किए थे। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वंदे भारत एक्सप्रेस के कोच उत्पादन के लिए नौ कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोच का निर्माण शुरू हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में दो प्रोटोटाइप वंदे भारत ट्रायल के लिए पटरी पर दौड़ने लगेंगी। इसके बाद रेल संरक्षा आयुक्त से मंजूरी मिलने के बाद अगस्त 2022 में पूरी क्षमता से कोच का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 42 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन महानगरों और बड़े शहरों के बीच दौड़ने लगेंगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शेष 31 वंदे भारत ट्रेन को वित्तीय वर्ष 2023-24 के अगस्त माह तक चलाने का लक्ष्य रखा है।
इन रूट पर दौड़ेंगी
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि सेमी हाई स्पीड (160-200 किलोमीटर की रफ्तार) वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-जम्मू, दिल्ली-देहरादून, दिल्ली-भोपाल व दक्षिण भारत के प्रमुख रेल मार्गों पर चलाया जाएगा। इन ट्रेन के कोच का उत्पादन रेलवे की आईसीएफ-चेन्नई, एमसीएफ-रायबरेली एवं आरसीएफ-कपूरथला की फैक्ट्रियों में किया जाएगा।
आग लगने पर भी दरवाजे-खिड़कियां खुल सकेंगी
नई वंदे भारत में यात्रियों की सुविधा की खातिर कई बदलाव किए गए हैं। इसमें पुशबैक सीटें होंगी। जिसे खिसकाकर सुविधानुसार आगे-पीछे किया जा सकेगा। अभी रेक्लाइनिंग सीटें हैं। ट्रेन में केंद्रीकृत कोच होंगे, जिससे एक ही जगह से पूरी ट्रेन पर नजर रखी जा सकेगी। बिजली चली जाने पर वेंटिलेशन और लाइटिंग के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। तीन घंटे तक वेंटिलेशन काम करेगा। हर कोच में चार इमरजेंसी खिड़कियां होंगी। पूरी ट्रेन जीवाणु रहित वातानुकूलित प्रणाली से लैस होगी। दरवाजे और खिड़कियों पर फायर सर्वाइवल केबल का इस्तेमाल होगा, जिससे आग लगने पर उनको आसानी से खोला जा सकेगा।