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वायु प्रदूषण अधिक होने पर बढ़ जाती हैं कोरोना से मौतें? जानें एक्सपर्ट्स की राय

 नई दिल्ली
 
दुनिया कोरोना महामारी के तीसरे साल में है। इसे 'सदी में एक बार' स्वास्थ्य संकट के रूप में देखा गया। हालांकि, वायरस और नए वैरिएंट्स के आने की आशंका अभी खत्म नहीं हुई है। WHO के अनुसार, विश्व भर में अब तक कोविड से 52 करोड़ से अधिक मामले और 62 लाख से अधिक मौतें हो चुकी हैं। नवंबर, 2019 में चीन के वुहान शहर में पहला मरीज दर्ज किया गया था। क्षेत्रवार देखें तो यूरोप में 22 करोड़ से अधिक संक्रमणों के साथ कुल मामलों की संख्या सबसे अधिक है। लेकिन देश के लिहाज से संयुक्त राज्य अमेरिका इस सूची में सबसे ऊपर है, जहां कुल मिलाकर 8.47 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। कोरोना प्रतिबंध आए और चले गए। एक बार फिर आए। ऐसे में विशेषज्ञों ने अन्य कारकों पर भी ध्यान दिया है जो कोविड रोगियों को प्रभावित करते हैं।

श्वसन कार्यों पर दिखा नकारात्मक असर
जर्मन शोधकर्ताओं की एक टीम के अध्ययन ने कोविड रोगियों पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को लेकर गहराई से विचार किया है। टीम कहती है, "हमारे नतीजे बताते हैं कि लंबे समय तक एनओ 2 एक्सपोजर ने जर्मनी में कोविड-19 के लिए संवेदनशीलता बढ़ा दी है। रिजल्ट सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए वायु प्रदूषण को कम करने की आवश्यकता को दर्शाते हैं। वायु प्रदूषकों से लंबे समय तक संपर्क श्वसन कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।"
 
रोगियों के गहन देखभाल की पड़ी जरूरत
शोधकर्ताओं ने पाया कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के कारण संक्रमित लोगों में से कई को गहन देखभाल की आवश्यकता पड़ी। जोखिम भरे कारकों के दौरान गहन देखभाल की आवश्यकता में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली। इससे पहले हार्वर्ड टी.एच. जिओ वू और रेचेल नेथरी व वरिष्ठ लेखक फ्रांसेस्का डोमिनिकी के नेतृत्व में चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ अध्ययन ने में वायु प्रदूषण से संबंध पाया था। प्रत्येक 1 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर की वृद्धि से कोविड-19 संक्रमण से मृत्यु दर में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

 

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