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वैट के केस फंस गए सी फार्म के फेर में, पांच साल बाद भी व्यापारियों की समस्याओं का नहीं हो रहा निपटारा

अलीगढ़
माह जुलाई, वर्ष 2017 में नई कर व्यवस्था जीएसटी को लागू किया गया था। गुड्स व अन्य वस्तुओं से वसूले जाने वाले वैल्यू एडिड टैक्स (वैट) सहित अन्य कई करों को जीएसटी में समाहित किया था। इस वित्तीय वर्ष के अप्रैल, मई व जून के व्यापारियों के कर निर्धारण के केस हुए थे। इस बीच वाणिज्यकर विभाग (पुराना नाम वस्तु एंव सेवाकर) में एक हजार केस एक्स पार्टी कर दिए गए थे। इन फर्मों के मालिक वैट अदायगी के मुख्य प्रपत्र फार्म-सी (बिना टैक्स अदा किए एक स्थान से दूसरे स्थान पर माल के आवागमन का प्रपत्र) जमा नहीं हो सका है। इसके चलते विभाग पर अतिरिक्त कार्रवाई व व्यापारियों पर टैक्स से जुड़े झंझावत हैं। उन्हें रिफंड भी नहीं मिल पा रहा है।

नई कर व्‍यवस्‍था में फंसा पेंच
नई कर व्यवस्था लागू करने से पहले व्यापारियों के तीन माह के टैक्स अदायगी व कर निर्धारण के कुछ केस फंस गए थे। इन केसों का निस्तारण खंड के डिप्टी कमिश्नर के यहां होना था। इस केस में बिक्री व खरीद की बिङ्क्षलग, बैंक की बैलेंस सीट का मिलान होता था। वैट की व्यवस्था में अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में माल मंगाया जाता था, उसके लिए खरीदार सी फार्म देते थे। ताकि बिक्री वाले व्यापारी को वैट अदा न करना पड़े। इस वैट अदायगी में जब पेंच फंसा तो खंड के डिप्टी कमिश्नर ने फर्म या कंपनी मालिक को नोटिस जारी कर आधे अधूरे प्रपत्र जमा करने के निर्देश दिए। करीब एक हजार व्यापारी सी फार्म या अन्य प्रपत्र जमा नहीं कर सके।

बिना औपचारिकता के केसों का हो निस्‍तारण
अलीगढ़ उद्योग व्यापार मंडल के महानगर अध्यक्ष सतीश माहेश्वरी ने बताया है कि सी फार्म के अभाव में खंड के डिप्टी कमिश्नर ने केस एक्स पार्टी घोषित कर दिए। एक हजार ऐसे व्यापारी हैं, जो विभाग की धारा – 32 के तहत केस रीओपन कराने जा रहे हैं। कई व्यापारियों ने करा भी दिए हैं। हम उ'चस्तरीय अफसरों से मांग की है कि वे सी फार्म की बिना औपचारिकता के केसों का निस्तारण कर दे, ताकि विभाग पर काम का बोझ कम हो सके। वाणिज्यकर विभाग के एडिशनल कमिश्नर आरबी शुक्ला ने बताया है कि वित्तीय वर्ष 2017 के अधिकांश केसों का निस्तारण हो चुका है। अगर व्यापारी केस को री ओपन कराना चाहते हैं तो उन्हें मौका दिया जाएगा।

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