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अग्निपथ स्कीम में कैसे फंसती दिख रही मोदी सरकार, किसान आंदोलन जैसी अग्निपरीक्षा लेगा अग्निपथ स्कीम का विरोध?

नई दिल्ली

एक साल से ज्यादा वक्त तक चला किसान आंदोलन बीते साल लंबी कवायद और तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद ही खत्म हुआ था। उससे पहले दिल्ली के कई बॉर्डरों पर किसान बैठे थे और कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन जारी थे। अब ऐसा ही मोड़ सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ स्कीम के विरोध पर आता दिख रहा है। 4 साल के लिए युवाओं को सेना में अग्निवीर के तौर पर भर्ती करने और फिर उनमें से 25 फीसदी को आगे की सेवा के लिए चुनने वाली स्कीम का उग्र विरोध हो रहा है। मंगलवार को स्कीम का ऐलान होने के अगले ही दिन बुधवार सुबह बिहार में हिंसक प्रदर्शन हुआ था। इसके बाद यूपी के कई शहरों, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में इसका विरोध शुरू हो गया।

उसके बाद से लगातार यह आंदोलन जारी है और युवाओं का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच केंद्र सरकार ने एक और ऐलान करते हुए युवाओं के गुस्से की आग पर पानी डालने की कोशिश की है। अग्निवीरों की भर्ती के लिए अधिकतम आयु 21 वर्ष तय की गई है, लेकिन इस साल के लिए दो वर्ष की रियायत देने का फैसला लिया गया है। यानी अब 23 साल तक के युवा इसके लिए आवेदन कर सकेंगे। यही नहीं खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे आते हुए युवाओं से शांति की अपील की है और कहा है कि वह इसके लिए तैयारी करें और भविष्य को बेहतर करने के लिए लाभ उठाएं।

अमित शाह और राजनाथ जैसे मंत्री आगे आए, युवा मानेंगे?
यही नहीं होम मिनिस्टर अमित शाह ने भी युवाओं से शांति की अपील करते हुए कहा है कि दो सालों से भर्ती अटकी थी और अब युवाओं को बड़ा मौका मिला है। हालांकि अब तक सेना की तैयारी करने वाले युवाओं पर इसका असर नहीं दिख रहा है। ऐसे में यह सवाल एक बार फिर उठ रहा है कि क्या यह विरोध मोदी सरकार की वैसी ही अग्निपरीक्षा लेगा, जैसे किसान आंदोलन ने ली थी। दरअसल युवा सड़क पर उतरे हैं तो विपक्ष भी इस स्कीम को लेकर हमलावर है। किसान आंदोलन के नेता रहे राकेश टिकैत ने भी आखिरी सांस तक युवाओं के लिए संघर्ष करने का ऐलान कर दिया है।

अपने भी हो रहे खिलाफ, कैसे बन पाएगी बात
सरकार की मुश्किल यह है कि एक तरफ वह युवाओं को समझाने में असफल साबित हो रही है तो वहीं जेडीयू जैसा सहयोगी दल भी उसके साथ नहीं है। जेडीयू का कहना है कि सरकार को इस पर विचार करते हुए युवाओं से बात करनी चाहिए। जेडीयू के एक नेता ने कहा कि बेहतर होता कि केंद्र सरकार इस मसले पर सहयोगी दलों को भी साथ लेती और उनसे सलाह मशविरा पहले ही कर लेती। भले ही भाजपा आरोप लगा रही है कि विपक्ष की ओर से युवाओं को उकसाया जा रहा है, लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं कि वह इस मसले पर घिरी दिख रही है।

सिर्फ भाजपा की राज्य सरकारें साथ, दूसरे दल क्यों बना रहे दूरी
दरअसल यह संकट इसलिए भी बढ़ता दिख रहा है क्योंकि अग्निवीरों को 4 साल की नौकरी के बाद सेवामुक्ति होने पर सिर्फ यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों ने ही दूसरी नौकरियों में प्राथमिकता देने की बात कही है।  होम मिनिस्ट्री ने भी अर्ध सैनिक बलों में इन युवाओं को प्राथमिकता देने की बात कही है। लेकिन राजस्थान, पंजाब, दिल्ली समेत देश के कई राज्यों ने इस पर कोई ऐलान नहीं किया है, जो विपक्षी दलों द्वारा शासित हैं। यहां तक कि बिहार सरकार ने भी ऐसा कोई ऐलान नहीं किया है, जिसमें खुद भाजपा शामिल हैं। ऐसे में जेडीयू की ओर से भाजपा पर दबाव बनाए जाने के भी कयास लगाए जा रहे हैं।

 

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