राजनीतिक

महाराष्ट्र को एक स्थिर सरकार मिले ,इसलिए अघाड़ी को पीछे हट जाना चाहिए-मंत्री सिंधिया

ग्वालियर
 केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा के संभागीय मीडिया सेंटर के शुभारंभ अवसर पर मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार में यह दरार आज की नहीं है। यह दरार गठनबंधन के समय की ही है। क्योंकि गठबंधन न तो विचारधार के आधार पर है और न ही इसके कोई नीति सिद्धांत है। अघाड़ी गठबंधन का आधार सत्ता और कुर्सी को पकड़ने की भूख का गठबंधन हैं। अगर अघाड़ी से सरकार नहीं संभल रही, तो उन्हें पीछे हट जाना चाहिए, ताकि महाराष्ट्र को स्थिर सरकार मिल सके।

केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि कि तीनों दल एक मत नहीं हैं। क्योंकि इनके सिद्धांत और विचारधार के साथ स्वार्थ भी अपने-अपने हैं और साथ चलकर प्रदेश के विकास करने की सोच नहीं है। इसलिए इनके बीच द्वंद स्वाभविक है। राज्यसभा के चुनाव से ही इनके बीच बौखलाहट है और विधानपरिषद के चुनाव के बाद से जो सड़कों पर आ गई है। सिंधिया ने कहा कि भाजपा की अपने सिद्धांत और विकास करने एक दृष्टिकोण है। भाजपा लोकतंत्रिक व सिद्धांतों पर आधार पर आगे बढ़ रहे हैं। और भाजपा की सोच रही है कि केंद्र व राज्यों में स्थिर सरकार रहे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे नेता फणवीस की तारीफ शरद पवार ने स्वयं की। उनका कहना था कि लोगों से मेल मिलाप और लोगों को साथ में जोड़कर रखने की उनकी क्षमता अदभुत है।

बेमेल गठबंधन अपने कुनबे को संभाल नहीं पा रहा है, और दोष भाजपा पर मढ़ रहा है

भाजपा के महाराष्ट्र के सह प्रभारी व बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया ने कहा कि विधान परिषद के चुनाव अघाड़ी गठबंधन की बड़ी पराजय हुई है जिसके कारण उनमें भय, गुस्सा और बौखलाहट है। बेमेल गठबंधन से बनी अघाड़ी सरकार अपने कुनबे को संभाल नहीं पा रही है। और दोष भाजपा पर लगा रही है। पवैया ने कहा कि अपने बच्चों को संभालने का दायित्व मां का ही होत है, पड़ोसी का नहीं। पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा कि बाला साहब ठाकरे ने अयोध्या आंदोलन में हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर भाग लिया। लंबे संघर्ष और बलिदानों के बाद जब मंदिर निर्माण का शुभदिन आया तो महाराष्ट्र सरकार ने रामभक्तों पर लठियां चलाईं। रामभक्तों को दुख इस बाद से हुआ कि इस सरकार की कमान बाला साहब ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे के हाथ में थी। यह बात उनके अपने विधायकों को भी नही पच रही है। इसलिए विधान परिषद में इस गठबंधन को केवल पांच सीटें मिली है। जिसके कारण इनमें बौखलाहट है। अपने कुनबे को संभालने की जिम्मेदारी है। भाजपा की नहीं है।

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