राजनीतिक

विधायकों के बाद एकनाथ शिंदे के रडार पर शिवसेना नेता, पार्टी बचाने में जुटे उद्धव ठाकरे

 मुंबई
 
महाराष्ट्र की सत्ता हासिल कर चुके मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की नजरें अब शिवसेना पर हैं। खबर है कि गुट ने पार्टी के पदाधिकारियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। मुंबई और ठाणे में निकाय चुनाव होने हैं। ऐसे में संभावनाएं जताई जा रही हैं कि अगले कुछ महीनों में शिवसेना संगठन में फूट पड़ सकती है। इधर, उद्धव ठाकरे ने भी पार्टी पर अपना पकड़ मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिंदे समूह ने शिवसेना के जिला स्तर के पदाधिकारियों से बातचीत शुरू कर दी है। एक ओर जहां निकाय चुनाव के लिए ठाकरे भाजपा के साथ जाने के खिलाफ हैं। वहीं, शिंदे गुट भाजपा के साथ गठबंधन चाहता है। खास बात है कि ठाणे, पालघर, कल्याण, डोंबिविली में शिंदे का दबदबा है और उनके साथ मौजूद अधिकांश विधायक महाराष्ट्र के आंतरिक इलाकों से आते हैं।खबरें आई थी कि कई लोकसभा सांसद भी चाहते हैं कि ठाकरे भाजपा से हाथ मिला लें। अब खबर है कि ऐसा नहीं होने पर वे भी पक्ष बदल सकते हैं। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, राजनीतिक विश्लेषक रविकिरण देशमुख बताते हैं, 'हमने विधायक इकाई में फूट पड़ते देखी है। शिंद सीएम हैं और शिवसेना संगठन में भी फूट पड़ सकती है।'

उद्धव ठाकरे भी पार्टी बचाने में जुटे
रिपोर्ट के अनुसार, ठाकरे को शिंदे गुट के इस कदम के बारे में जानकारी है। साथ ही उन्होंने बीते कुछ दिनों में पार्टी नेताओं के साथ बैठकें की हैं। मंगलवार को भी शिवसेना के अध्यक्ष और उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने जिला प्रमुखों, विभाग प्रमुखों और अन्य पदाधिकारियों से ऑनलाइन चर्चाएं की हैं। हालांकि, शिंदे की तरफ से की गई बगावत के बाद से ही ठाकरे बैठकें कर रहे हैं।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि वीडियो कॉल के अलावा ठाकरे व्यक्तिगत तौर पर पदाधिकारियों से बात कर रहे हैं। पार्टी नेताओं को अपने साथ बनाए रखने के अलावा उन्होंने पार्टी में मौजूद शिंदे के वफादारों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को उन्होंने किरण पांडव को निष्कासित कर दिया। पांडव गडचिरोली जिला संयोजक थे।

 

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