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पंचायत चुनाव: प्रतिष्ठा की लड़ाई में दिग्गज हुए धराशायी

बुदनी विधानसभा के जिला पंचायत का वार्ड नंबर 13 एवं जनपद पंचायत का वार्ड नंबर 5 में थी कांटेे की टक्कर

सुमित शर्मा, सीहोेर-रेहटी
9425665690

विधानसभा चुनाव 2023 से पहले सेमीफाइनल के रूप में हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा औैर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर थी। प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में भाजपा के कई दिग्गज एवं वरिष्ठ नेता धराशायी हुई हैं। अब समय आ गया है कि भाजपा इन नेताओें के भविष्य के साथ युवा नेताओें और संगठन को लेकर भी मंथन करे।
प्रदेशभर में इस समय त्रि-स्तरीय पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव चल रहे हैैं। पंचायत चुनाव के तीनों चरण हो चुके हैं औैर नगरीय निकाय चुनाव का दूसरा चरण 13 जुलाई कोे है। इससे पहले पंचायत चुनाव के तीसरे चरण में 8 जुलाई को हुए मतदान के नतीजोें नेे कांग्रेस कोे ऑक्सीजन भी दी है। बुदनी विधानसभा के तहत आनेे वालेे जिला पंचायत के पांच वार्डोें 13, 14, 15, 16 और 17 मेें से दो पर कब्जा कांग्रेस ने किया है, वहीं एक वार्ड केे नतीजे अभी सामने ही नहीं आ पाए हैं। वार्ड नंबर 13 से कांग्रेस के युवा नेता कमलेश पटेल तो वार्ड नंबर 15 से विजयेंद्र उइके ने जीत दर्ज कराई है।
इन नेताओं की प्रतिष्ठा थी दांव पर-
इस बार पंचायत चुनाव में बुदनी विधानसभा केे कई वरिष्ठ एवं दिग्गज नेताओें की प्रतिष्ठा दांव पर थी। जिला पंचायत के वार्ड नंबर 13 से भाजपा के कई दिग्गज नेताओें ने मैदान संभाला था। यहां से भाजपा के पांच नेताओें का मुकाबला कांग्रेस के एक युवा नेता सेे था। चुनावी मैदान में वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंडी अध्यक्ष आसाराम यादव, वरिष्ठ नेता घासीराम पटेल, पूर्व मंडल अध्यक्ष रामसजीवन यादव, युवा नेता नीतेश साहू सहित महिला नेत्री सुशीला निमोदा भी मैदान में थी। कांग्रेस से एकमात्र कमलेश पटेल ही चुनाव मैदान मेें थे। हालांकि पर्चा तोे कई नेताओें ने भरा था, लेकिन बाद में सभी ने पर्चा उठाकर कमलेश पटेल कोे ही समर्थन दिया था।
कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन रहा सफल-
कांग्रेस ने इस बार एक नेता को ही चुनाव मैदान मेें उतारकर अपनेे चुनावी प्रबंधन को भी जग-जाहिर कर दिया है। कांग्रेस ने चुनावी प्रबंधन के साथ चुनाव लड़ा और इसके नतीजे भी सार्थक आए। हालांकि भाजपा ने भी चुनाव से पहले मैदान में उतरे अन्य नेताओें कोे समझाईश भी थी कि कोई एक ही नेता चुनाव लड़े, लेकिन यहां पर सभी नेताओें ने चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था। सांसद रमाकांत भार्गव, कार्तिकेय चौहान सहित संगठन द्वारा भी भाजपा नेताओें कोे समझाईश दी गई थी, लेकिन यह समझाईश काम नहीं आई। अब इस प्रतिष्ठा की लड़ाई में जहां इन नेताओें की हार हुई है तोे वहीं अब इनके राजनीतिक भविष्य को लेकर भी पार्टी स्तर पर कवायद शुरू होगी।
जनपद पंचायत में थी कांटेे की टक्कर-
बुदनी विकासखंड के तहत जनपद पंचायत के 25 वार्ड हैं, लेकिन इनमेें से कई वार्ड पहले ही निर्विरोेध हो चुकेे हैैं। बुदनी विकासखंड केे जनपद पंचायत वार्ड नंबर 4 और 5 में भी भाजपा नेताओें के बीच में ही कांटेे की टक्कर थी। यहां भी चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई को लेकर था, लेकिन इस लड़ाई मेें भी नुकसान भाजपा नेताओें को ही हुआ है। चुनाव को धन-बल से लेकर हर स्तर तक जीतने की तैैयारियां थीं। वार्ड नंबर 5 मेें कुल 9 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थेे, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सलकनपुर मंदिर समिति के सदस्य अरविंद दुबेे एवं भाजपा के युवा नेता एवं भाजयुमोे के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश सिंह राजपूत के बीच मेें था। यहां सेे अरविंद दुबेे को जीत मिली है तो वहीं राजेश सिंह राजपूत प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में हार गए हैं। ऐसा ही जनपद पंचायत के वार्ड नंबर 4 मेें भी देखनेे कोे मिला। यहां से तीन प्रत्याशी चुनाव मैदान मेें थेे। कंचन प्रदीप पटैरिया, रीतू विजय सिंह यदुवंशी और संगीता पिंटू केवट। तीनों ही भाजपा समर्थित थे, लेकिन यहां सेे रीतू विजय सिंह यदुवंशी कोे जीत मिली है।
पंचायतोें मेें भी जीतेे कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी-
इसी तरह बुदनी विकासखंड की ग्राम पंचायतोें मेें भी कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कराई है। ग्राम पंचायत सलकनपुर में कांग्रेस समर्थित अनिरूद्ध मंजू जीती हैैं तो वहीं अन्य ग्राम पंचायतों में भी कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियोें ने जीत दर्ज कराई है।

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