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भारत-चीन सीमा मुद्दे पर मोदी सरकार को बताया- असमर्थ: ओवैसी, विशेष संसद सत्र की मांग

हैदराबाद।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार चीन के द्वारा बुनियादी ढांचे बनाने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को भारत-चीन सीमा मुद्दे पर केंद्र सरकार की खिंचाई की। उन्होंने इस मसले पर चर्चा के लिए संसद के विशेष सत्र की मांग की है। भारत-चीन सीमा मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला करते हुए ओवैसी ने एक के बाद कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने कहा, "सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी बुनियादी ढांचे का विकास भविष्य के लिए अशुभ है। एलएसी के पास चीनी हथियारों और सैनिकों की व्यापक तैनाती के साथ देखा जा रहा है। यह क्षेत्र में प्रमुख चीनी सैन्य तैयारी को इंगित करता है। यह एक गंभीर मुद्दा है जो संसद के विशेष सत्र की मांग करता है। हम फिर से चीन सीमा संकट और सरकार की प्रतिक्रिया पर चर्चा करने के लिए संसद के विशेष सत्र की मांग करते हैं।"

उन्होंने कहा, "चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में नए गांव बना रहा है। यह हमारे सांसदों को पत्र भेज रहा है। चीन गालवान में अपनी सेना और झंडा लहराते हुए वीडियो डाल रहा है। सोशल मीडिया पर भड़काऊ चीजें ट्रेंड करा रहा है। हमने प्रतिक्रिया में मिठाई का आदान-प्रदान किया है। लद्दाख में चीनी आए और कब्जा कर लिया। इस चुनौती के लिए पूरे भारत की प्रतिक्रिया की जरूरत है। चीन को जवाब देने में यह अनजान, विभाजनकारी और कमजोर सरकार असमर्थ है।"
 
आपको बता दें कि सैन्य गतिरोध के 20 महीने से अधिक समय से चीन ने लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के सामने लगभग 60,000 सैनिकों को तैनात किया है। वह एलएसी पर अपने बलों की तेजी से आवाजाही में मदद करने के लिए अपने बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा है। सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया, "गर्मियों के मौसम में चीनी सैनिकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई थी। ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण के लिए वे बड़ी संख्या में सैनिकों को लाए थे। वे अब अपने पीछे के स्थानों पर वापस चले गए हैं। हालांकि, वे अभी भी लद्दाख के विपरीत क्षेत्रों में लगभग 60,000 सैनिकों को बनाए हुए हैं।"

सूत्रों ने कहा कि भारतीय पक्ष ने भी चीनी पक्ष की ओर से किसी भी संभावित दुस्साहस को सुनिश्चित करने के लिए बहुत मजबूत कदम उठाए हैं।भारतीय सेना ने आतंकवाद निरोधी राष्ट्रीय राइफल्स की वर्दी फोर्स को पूर्वी मोर्चे पर लद्दाख थिएटर में लाया है, जबकि भारत की ओर से भी बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना किसी भी संघर्ष वाले जगह पर जरूरत पड़ने पर सैनिकों की संख्या बढ़ाने के लिए सभी पर्वतीय दर्रों को खुला रख रही है।

पिछले साल अप्रैल-मई में शुरू हुई चीनी आक्रामकता पर रक्षा मंत्रालय ने अपनी साल के अंत की समीक्षा में कहा था कि एलएसी पर एक से अधिक क्षेत्रों में बल द्वारा यथास्थिति को बदलने के लिए चीनियों द्वारा एकतरफा और उत्तेजक कार्रवाई की गई है। पर्याप्त उपाय के रूप में प्रतिक्रिया दी गई है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न स्तरों पर बातचीत में लगी हुई हैं। कई स्थानों पर दोनों देशों के सैनिक वापस भी भी गए।

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