
सुमित शर्मा, सीहोर (9425665690)
हाल ही में संपन्न हुए त्रि-स्तरीय एवं नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों के बाद स्थिति साफ है। जिस तरह से सीहोर जिले में नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन रहा है वह बेहद निराशाजनक एवं कार्यकर्ताओं कोे हतोेस्साहित करने वाला रहा है। भले ही कांग्रेस अपने चुनावी प्रदर्शन कोे लेकर संतुष्ट है, लेकिन पूरे चुनाव के दौरान ऐसा कहीं नजर नहीं आया कि कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस नेता भाजपा सरकार औैर संगठन की कार्यप्रणाली से भी कुछ नहीं सीख रहे हैं। जिस तरह से भाजपा संगठन चुनाव को लेकर सक्रिय रहता है और पार्टी पूरी ताकत एवं तैयारियोें के साथ चुनाव मैदान में उतरती है उससे भाजपा का चुनावों में जीतता स्वाभाविक भी है औैर पार्टी का अधिकार भी है, लेेकिन जिस तरह से कांग्रेस चुनाव मैदान में उतरी थी वह बेहद निराशाजनक रहा। सीहोर जिले में जहां कांग्रेस का पूरी तरह सूपड़ा साफ हुआ है, वहीं आष्टा नगर पालिका भी कांग्रेस केे हाथ सेे निकल गई है। इतना सब होने केे बाद भी कांग्रेस संगठन एवं जिले के जिम्मेदार पदाधिकारी कुछ सबब लेंगे ऐसा नजर नहीं आता है। बिना संगठन के कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतरकर जहां अपनी किरकिरी कराई है, वहीं स्थानीय नेताओं की भी इससे जमकर किरकिरी हुई है। चुनाव से पहले कांग्रेस ने जिले की कार्यकारिणी भंग कर दी औैर चुनाव से पहले कार्यकारिणी गठित भी नहीं की गई। अनुभवी एवं वरिष्ठ नेताओें की भारी-भरकम फौज के बाद भी कांग्रेस पार्टी चुनाव में कुछ नहीं कर पाई। सीहोर जिले में पूरे चुनाव के दौरान ऐसा कहीं नजर नहीं आया कि कांग्रेस ने चुनाव की तैयारियोें कोे लेकर कोई बैठक आयोेजित की होे, या फिर कोई कार्ययोजना बनाकर चुनावी मैदान संभाला हो। पूरे समय जहां अनुभव, वरिष्ठ एवं जिले के पदाधिकारी घर बैठकर चुनावी तैयारियोें की खानापूर्ति करतेे नजर आए तोे वहीं भाजपा का पूरा संगठन औैर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौैहान खुद चुनावी मैदान मेें जनता केे बीच पहुंचे और उनसे वोेट देने की अपील की। इससे इतर कांग्रेस का कोेई भी वरिष्ठ नेता सीहोर जिले की किसी भी नगर पालिका एवं नगर परिषद मेें चुनावी सभा या रोड शो करने के लिए नहीं पहुंचा। स्थानीय स्तर पर नेताओं ने चुनावी तैयारियां करके भाजपा के प्रत्याशियोें के साथ किला लड़ाया, लेकिन जो काम पूरे संगठन एवं जिले के जिम्मेेदार पदाधिकारियों को मिलकर करना चाहिए था वह काम स्थानीय नेता अकेले-अकेले करते नजर आए। सीहोर की कई नगर परिषदों में तो यह स्थिति बनी कि कांग्रेस कोे चुनाव लड़नेे वाले योग्य उम्मीदवार ही नहीं मिल सके। शाहगंज मेें तोे भाजपा प्रत्याशियोें के सामनेे कोेई कांग्रेस का उम्मीदवार ही नहीं उतरा। यही कारण रहा कि शाहगंज नगर परिषद पूरी तरह सेे निर्विरोध चुनी गई। इसी तरह बुदनी में कांग्रेस के कई नेता अपनेे आपकोे दिग्गज मानतेे हैैं, लेकिन बुदनी से कांग्रेस प्रत्याशी एक भी वार्ड नहीं जीत सके। सीहोर जिले के कांग्रेस के दिग्गज एवं वरिष्ठ नेता जिनमें राजकुमार पटेेल, देवकुमार पटेेल, जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह तोेमर, बुदनी केे पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष केशव सिंह चौैहान, दिग्गज नेता महेश राजपूत सहित कई अन्य नेता पूरे चुनाव के दौरान कहीं भी मैदान में नजर नहीं आए। यदि मैदान में उतरे भी तो वे जनता केे बीच में अपनी बात बेेहतर ढंग सेे नहीं कह पाए। कांग्रेस के पूर्व पीसीसी चीफ एवं बुदनी विधानसभा में मुख्यमंत्री के सामने चुनाव लड़ चुके अरूण यादव ने भी बुदनी विधानसभा के तहत आने वाली नगर परिषद के चुनाव से पूरी तरह दूरी बनाकर रखी। मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में रहने वाली कांग्रेस कहीं भी चुनाव के मैदान में नजर नहीं आई। नगरीय निकाय चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा था, लेकिन चुनावी मुकाबला पूरी तरह सेे भाजपा वर्सेज निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच में रहा। कांग्रेस तीसरी नंबर पर आकर सिमट गई। कांग्रेस चुनावी मुकाबले में कहीं भी नजर नहीं आई। सीहोर जिले के जिन वार्डोें में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कराई है वह उनकी व्यक्तिगत जीत है। लोगों नेे व्यक्तिगत आधार पर कांग्रेस प्रत्याशियों को वोट दिए हैं। कांग्रेस को लेकर यह कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि अब कांग्रेस मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई है और अब कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता एवं नेता भी संगठन के आगे परास्त होे चुके हैं। यदि यही स्थिति रही तोे आने वाले समय में कांग्रेस कोे कोई झंडा उठाने वाला भी नहीं मिलेगा, क्योंकि विकल्प के तौर पर अब प्रदेश में जहां आम आदमी पार्टी की दस्तक हो चुकी है तोे वहीं भाजपा नेे सभी के लिए दरवाजे खुले रखेे हैं। सीहोर जिला अब कांग्रेसमुक्त होने की कगार पर आ गया है।