राजनीतिक

75 हजार पदों के लिए दोबारा होगी चुनाव प्रक्रिया, नहीं रोकेंगे पंचायत चुनाव

भोपाल
राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह का कहना है कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त नहीं किए जाएंगे। केवल ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था का पालन किया जाएगा। प्रदेश में बाकी वर्गों के पदों के लिए चुनाव प्रक्रिया जारी रहेगी। आयोग इस मसले पर विधिक परामर्श भी ले रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए आरक्षित ओबीसी श्रेणी के तेरह पदों को सामान्य घोषित करने अधिसूचना जारी करेगी। इसके बाद नए आरक्षण के हिसाब से इन पदों के लिए नामांकन जमा कराए जाएंगे। नई प्रक्रिया में एस-एसटी के लिए 22 पद होंगे बाकी शेष तीस पद सामान्य होंगे। मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की सीटें सामान्य करने के साथ-साथ पंचायत चुनाव की प्रक्रिया जारी रहेगी। पंचायत चुनाव के लिए अब केवल एससी-एसटी आरक्षण रहेगा। शेष पद अनारक्षित होंगे। जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत सदस्य और ग्राम पंचायत के पंच और सरपंच के लिए यह व्यवस्था लागू होगी।

मध्यप्रदेश में 52 जिला पंचायत अध्यक्षों में से 14 पद अनुसूचित जनजाति, 8 अनुसूचित जाति के लिए और तेरह पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हंै। इस तरह 52 पदों में से कुल 35 पद आरक्षित कर दिए गए है। पचास फीसदी की सीमा से ज्यादा आरक्षण नहीं किया जा सकता।

राज्य सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए मौजूदा आरक्षण निरस्त कर दिया है। ओबीसी आरक्षण के अलावा शेष वर्गों का आरक्षण पहले की तरह रहेगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी कलेक्टरों से कहा है कि ओबीसी वर्ग के लिए कोई आवेदन न ले। आयोग ने ओबीसी आरक्षित पंच, सरपंच, जनपद पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के पदों की निर्वाचन प्रक्रिया स्थगित कर दी है।

पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण समाप्त होंने के बाद पंच, सरपंच, जिला और जनपद पंचायत सदस्य के करीब 75 हजार पदों के आरक्षण के लिए नये सिरे से प्रक्रिया होगी। इन पदों के लिए नामांकन भी अब अनारक्षित के हिसाब से लिए जाएंगे। जो लोग ओबीसी आरक्षित पदों के हिसाब से नामांकन भर चुके है उन्हें दोबारा नये सिरे से नामांकन जमा कराना होगा। इस मसले पर राज्य निर्वाचन आयोग ने अफसरों की बैठक बुलाई। इसमें ओबीसी से सामान्य हुई पंचायतों में चुनाव की नई रणनीति तय की जा रही है। 2014 के आरक्षण और परिसीमन के हिसाब से हो रही  चुनाव प्रक्रिया पर चर्चा की जा रही है। वहीं तीन जनवरी को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में संवैधानिक प्रक्रिया के उल्लंघन के बारे में विधि विशेषज्ञों से राय ली जा रही है।

इधर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने इस मामले में कांग्रेस सांसद विवेक तनखा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में तन्खा ने पंचायत चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का विरोध किया है। इस आधार पर कोर्ट ने इस आरक्षण पर रोक लगाई है। इससे एक बार फिर साफ हो गया है कि कांग्रेस पूरी तरह से ओबीसी वर्ग की विरोधी है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में गलत तरीके से पक्ष रखकर इस आरक्षण पर रोक लगवाई है जबकि भाजपा सरकार ने सदैव ओबीसी वर्ग को पंचायत चुनाव में 27 प्रतिशत का आरक्षण दिया है।

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