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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सीहोर जिले में हुई 425 क्लब फुट सर्जरी

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सीहोर जिले में हुई 425 क्लब फुट सर्जरी

सीहोर। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) जरूरतमंद बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष आयु तक के समस्त बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण आंगनबाड़ी केन्द्रों में वर्ष में 2 बार 6-6 माह तथा शासकीय शालाओं, छात्रावासों में साल में 1 बार स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया ने बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में अभी तक 7251 बच्चों की सर्जरी शासकीय खर्च पर की जा चुकी है। कार्यक्रम के अंतर्गत सीहोर जिला क्लब फुट मुक्त हो चुका है। जिले ने प्रदेश में 425 क्लब फुट सर्जरी कर द्वित्तीय स्थान प्राप्त किया है। योजना के अंतर्गत मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना में 250, बाल श्रवण के 49, कटे-फटे तालु की 125, मोतियाबिंद 53, न्यूरल ट्यूब के 25, आटाइटिस मिडिया 36, भेंगापन 30, दंत रोग 6000, एवं अन्य बीमारी के 250 तथा आरओपी के 8 बच्चों की सर्जरी कराई गई है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में मोबाइल हेल्थ टीम का गठन किया गया है। मोबाइल टीम समस्त बच्चों का 4 डी, जन्मजात विकृति, पोषण की कमी, रोग, विकासात्मक विलंब की शीघ्र पहचान कर इसका उपचार टीम द्वारा सुनिश्चित किया जाता है।
उपचार के लिए जिला चिकित्सालय परिसर में जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र स्थापित किया गया है। जन्मजात विकृति वाली बीमारी के बच्चों का आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारियों द्वारा नि:शुल्क उपचार किया जाता है। पोषण की कमी के अंतर्गत गंभीर एनीमिया विटामिन ए की कमी, विटामिन डी की कमी, गंभीर कुपोषण, घेंघा का उपचार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सिविल अस्पताल तथा जिला चिकित्सालय में नि:शुल्क उपचार किया जाता है।
गंभीर कुपोषित बच्चों के उपचार एवं प्रबंधन के लिए पोषण पुनर्वास केन्द्र जिले में संचालित है। जहां 14 से 21 दिनों तक बच्चें को भर्ती कर पोषण आहार, आवश्यक जांचे, दवाईयां थैरेपी, एवं परामर्श बच्चों एवं उनकी माताओं का रूमैटिक हृदय रोग, बच्चों में दमें की शिकायत, दंत रोग, मिर्गी, एवं एठन विकार, उक्त बीमारी का उपचार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला चिकित्सालय, डीईआईसी और आयुष्मान योजनांतर्गत मान्यता प्राप्त चिकित्सालयों में कराया जाता है। विकासात्मक विलंब या देरी के अंतर्गत दृष्टि दोष, श्रवण दोष, न्यूरो मोटर, हाथ पैर को चलाने में देरी, बोध ज्ञान में विलंब, आॅटिज्म, आत्मकेंद्रित विकार, स्कूली बच्चों में नई चीजें सीखने की अक्षमता, एडीएचडी स्कूल में ध्यान केंद्रित, ध्यान देने अथवा व्यवहार को नियंत्रित करने में कठिनाई एवं हमेशा अतिसक्रियता होना जैसी बीमारियों का उपचार डीईआईसी में विभिन्न प्रकार की थैरेपी प्रदान कर की जाती है।

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