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खर्चीली-जहरीली खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ा सीहोर जिले के किसानों का रूझान

- किसान ले रहे प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण, करवा रहे हैं आनलाइन पंजीयन

सुमित शर्मा, सीहोर
खर्चीली एवं जहरीली खेती को छोड़कर सीहोर जिले के किसान भी अब प्राकृतिक खेती की तरफ अपना रूझान कर रहे हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि सीहोर जिले के किसानों द्वारा लगातार प्राकृतिक खेती के लिए आॅनलाइन एवं आॅफलाइन पंजीयन करवाया जा रहा है। इसके लिए वे प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रहे हैं, ताकि खुद भी प्राकृतिक खेती को अपनाएं एवं अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करें। खेती को लाभ का धंधा बनाने की कवायद में जुटी राज्य सरकार के लिए भी यह खबर राहत वाली है कि अब किसान खुद भी खर्चीली एवं जहरीली खेती को तोबा करने का मूड बनाने लगे हैं। किसान भी जहरीली खेती के साथ ही अब कम लागत की खेती को अपनाना चाहते हैं। इसके लिए अब उनमें जागरुकता आई है और वे प्राकृतिक खेती को अपनाने में लगे हैं।
सीहोर जिले में लगातार करवा रहे किसान पंजीयन-
कृषि विभाग सीहोर द्वारा प्राकृतिक खेती को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि विभाग की मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं और शुरुआत में कम से कम अपना एवं परिवार का अनाज वे पूरी तरह प्राकृतिक रूप से ही पैदा करें। इसके बाद वे अपनी पूरी खेती भी प्राकृतिक तरीके से करें। सीहोर जिले में खासकर सीहोर विकासखंड के तहत आने वाले गांवों के किसानों का फिलहाल प्राकृतिक खेती की तरफ ज्यादा रूझान है। यही कारण है कि इस बार करीब 2 हजार किसानों ने इसके लिए आॅनलाइन एवं आॅफलाइन पंजीयन भी कराएं हैं। इसमें सबसे ज्यादा लगभग 944 किसान सीहोर तहसील के हैं। इसके अलावा 895 से अधिक किसान अन्य तहसीलों के हैं, जिन्होंने प्राकृतिक खेती के लिए पंजीयन कराया है। इतना ही नहीं इसके लिए किसानों ने प्रशिक्षण भी लिया है, ताकि वे अपने खेतों में प्राकृतिक खेती को करें। अब कृषि विभाग जिले के अन्य विकासखंडों में भी प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है, ताकि किसानों को पता चले कि वे किस प्रकार से प्राकृतिक खेती को अपनाएं।
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को मिलेगा ये लाभ-
राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में लगी हुई है। इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को लाभ भी दिया जा रहा है। दरअसल प्राकृतिक खेती के लिए सरकार ने एक देशी गाय रखने पर अनुदान देने की योजना भी शुरू की है। इसके लिए एक गाय पर सरकार प्रतिमाह किसान को 900 रुपए देगी। हालांकि योजना का लाभ केवल एक ही गाय पर मिलेगा। यदि किसान एक से ज्यादा गाय रखता है तो उसका खर्चा उसे ही वहन करना पड़ेगा। प्राकृतिक खेती के लिए गाय का गोबर, गौमूत्र बेहद जरूरी है। एक गाय के गोबर एवं गौमूत्र से किसान 25-30 एकड़ जमीन में प्राकृतिक खेती आराम से कर सकता है। इसके लिए सरकार एक गाय पर प्रतिमाह 900 रुपए देगी।
आनलाइन पंजीयन प्रक्रिया अपनाने की अपील-
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए वृहद कार्यक्रम चलाए जाने का निर्णय लिया गया है। इसी क्रम में प्राकृतिक खेती करने के इच्छुक किसानों के पंजीयन के लिए पोर्टल तैयार किया गया है। किसानों से प्राकृतिक खेती के लिए आॅनलाईन पंजीयन करने के लिए प्रक्रिया अपनाने की अपील की गई है। किसान अपने मोबाइल पर विभागीय वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटएमपीकृषिडॉटओआरजी टाईप करें। वेबसाइट के होम पेज पर नीचे दी गई लिंक पर किसान पंजीयन के लिए क्लिक करें। पंजीयन तीन स्टेप में होगा, जिसमें कृषक की जानकारी, मोबाइल का वेरीफिकेशन एवं अन्य जानकारी फीड कर भरेंगे। प्रक्रिया पूर्ण कर लेने पर कृषक का प्राकृतिक खेती के लिए पंजीयन हो जाएगा।
इनका कहना है-
सीहोर जिले के ज्यादा से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती अपनाएं। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्राकृतिक खेती के लिए किसानों ने भी दिलचस्पी दिखाई है। इस बार बड़ी संख्या में किसानों ने प्राकृतिक खेती के लिए आॅनलाइन एवं आफलाइन पंजीयन भी कराया है। किसानों को इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है।
– केके पांडे, उपसंचालक कृषि, जिला सीहोर

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