बिज़नेस

बड़ी कंपनियों के एजेंटों ने खरीदा गेहूं, सरकारी गोदाम रह गए खाली

पटना लखनऊ देहरादून रांची।
गेहूं की खरीद के लिए निर्धारित सरकारी समर्थन मूल्य (एमएसपी) किसानों को लुभा नहीं पाया। कई बड़ी कंपनियों के एजेंटों और मिल मालिकों ने इसका फायदा उठाया और बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीद कर ली। इनके एजेंट किसानों के दरवाजे पर जाकर एमएसपी से अधिक पैसे देकर गेहूं उठा लिए। इस कारण सरकार के गेहूं खरीद का लक्ष्य धरा रह गया। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने चार राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड में इसकी पड़ताल कराई तो यह निष्कर्ष सामने आया।

महाराष्ट्र, यूपी और दिल्ली की कई बड़ी कंपनियों ने अपने एजेंटों के माध्यम से गेहूं की खरीद की। यही नहीं उन्होंने गेहूं खरीदकर विदेश भी भेजा। बाद में निर्यात पर रोक लगा तो इन्होंने इसका अपने यहां भंडारण कर लिया। बिहार में इस बार रिकॉर्ड कम खरीददारी हुई है। 10 लाख टन के लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 3 हजार टन की ही खरीद हुई है। इस बार गेहूं की सरकारी खरीद दर 2015 रुपए प्रति क्विंटल थी। इसकी जगह किसानों को बाजार से 2200 रुपए तक की कीमत मिली।

उत्तराखंड : 22 लाख क्विंटल का लक्ष्य, खरीद मात्र 20 हजार क्विंटल

राज्य का गेहूं खरीद लक्ष्य 22 लाख क्विंटल है। लेकिन, अब तक 248 खरीद केंद्रों पर 20 हजार क्विंटल के लगभग ही खरीद हुई है। अधिसंख्य स्थानों पर स्थानीय कारोबारियों ने ही किसानों से खरीद कर गेहूं का भंडारण कर लिया। यहां सरकारी मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल है। इस पर प्रति क्विंटल 20 रुपए राज्य सरकार ने बोनस भी दिया। इससे गेहूं का सरकारी भाव प्रति क्विंटल 2035 रुपए हो गया। उधर, खुले बाजार में किसानों को 2200 से 2300 रुपए प्रति क्विंटल तक भाव मिला। लिहाजा, किसानों ने सरकारी खरीद में रुचि नहीं ली। कई जगह व्यापारियों ने किसानों के खेतों से ही गेहूं खरीद कर उठाया। यहां के प्रमुख बाजार कुमाऊं में गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य 1.60 लाख क्विंटल रखा गया था लेकिन खरीद महज 7240 क्विंटल ही हुई।

इस बार यूपी में 60 लाख मीट्रिक टन खरीद लक्ष्य था, लेकिन मात्र 2.93 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हो पाई है। महज 77 हजार 191 किसानों ने अपना गेहूं सरकारी केंद्रों पर बेचा। यूपी में इस साल 97.73 लाख हेक्टेयर में अनुमानित 359 लाख मी.टन गेहूं की पैदावार हुई है। जबकि, पिछले साल 98.52 लाख हेक्टेयर में 374.79 लाख मी.टन पैदावार हुई थी। इस बार रकबा कम था। रूस- यूक्रेन युद्ध के चलते यहां से कई देशों को जाने वाला गेहूं नहीं गया। इससे संभावित मांग को देखते हुए कंपनियों और आढ़तियों ने किसानों से पहले ही गेहूं खरीद लिया। दिल्ली के करीबी जिलों में दाम ज्यादा रहा, जबकि पूर्वांचल में किसानों ने 2000 तक में निजी कंपनियों को गेहूं बेचा।

महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की कई निजी कंपनियों ने अपने एजेंट और कई छोटी कंपनियों ने आढ़तियों के माध्यम से खरीद की। खरीद के बाद बड़े पैमाने पर गेहूं विदेश गया। बाद में निर्यात रोक लगने पर कंपनियों द्वारा गेहूं का भंडारण किया गया। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, मेरठ, वाराणसी, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी आदि की स्थिति कमोवेश एक जैसी रही।

झारखंड : गेहूं मुख्य फसल नहीं

झारखंड में गेहूं मुख्य फसल नहीं है। यहां गेहूं की खेती बहुत कम क्षेत्र में होती है। यहां गेहूं का उत्पादन वर्ष 2019-20 में 439 मीट्रिक टन, 2020-21 में 523 मीट्रिक टन और 2021-22 में 469 मीट्रिक टन हुआ। माना जाता है कि झारखंड में लोग गेहूं की खेती बेचने के लिए नहीं अपने निजी उपयोग के लिए करते हैं। झारखंड में राज्य सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय नहीं किया है।

बिहार : गेहूं की सरकारी खरीद में रिकॉर्ड कमी

राज्य में इस साल गेहूं का लगभग 66 लाख टन उत्पादन हुआ। यह गत वर्ष से लगभग तीन लाख टन अधिक है। लिहाजा गत वर्ष की सफलता से उत्साहित सरकार ने इस बार गेहूं खरीद का लक्ष्य भी दस लाख टन यानी दूना कर दिया। लेकिन, समर्थन मूल्य में केन्द्र सरकार ने मात्र 40 रुपये की वृद्धि कर इस साल के लिए 2015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया। यह राशि भी किसानों को तब मिलेगी जब वह लगभग 70 से सौ रुपये प्रति क्विंटल खर्च कर अपना उत्पाद नजदीकी क्रय केन्द्र पर ले जाएंगे। उधर, देश में गेहूं की कमी होने के कारण दूसरे राज्यों की कंपनियों ने बिहार में दुकान खोल ली।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Získejte tipy a triky pro zlepšení svého domova, vaření a skvělý nápady na zahradničení. Naše stránka nabízí užitečné články a návody, které vám pomohou vytvořit útulný a plodný domov. Objevte nové recepty, lifestylové tipy a rady pro pěstování zeleniny a ovoce ve vašem vlastním zahradním ráji. Buďte inspirací pro své blízké a zkuste něco nového každý den! Rychlá pita pizza: Vynikající chuť předčí Přírodní spolupráce rostlin pro ochranu Ne poleva, ale švýcarské pusinky: 3 Tyto 2 odrůdy okurek Nejjednodušší už to nebude: Klobásky Pěstování rajčat ve vašem záhonu: tipy pro sousedství rostlin 15 minut a zdravá snídaně: ovesné palačinky bez Kuřecí řízky se sýrem – rychlý a chutný hit Zeslazujte angrešt a rybíz hnojením Lifehack dne: Proč chytré hostitelky používají Khachapuri bez výčitek svědomí: Jednoduše neodolatelný recept na gruzínskou pochoutku Příprava na dacha sezónu: jak se na jaře vyhnout pokutám Maličký dům snů: Jak Tato lahodná večeře vás zachrání: Připravte si domácí kuře Chemie pro minulost: produkt, který dokonale Jak úspěšně pěstovat cibuli velikosti Tipy a triky pro vás: Nová kulinářská videa, výživné recepty a užitečné články pro zahradníky. Objevte nové způsoby, jak využít své potraviny a skvělé nápady pro vaši zahradu!