सस्ता और आसानी से लोन लेने के लिए बेहतर क्रेडिट स्कोर जरूरी, लेकिन खराब होने पर नहीं मिलेगा बीमा
नई दिल्ली।
सस्ता और आसानी से कर्ज लेने के लिए बेहतर क्रेडिट स्कोर बहुत जरूरी है। इसके कम होने या ज्यादा खराब होने पर बैंक आपको कर्ज देने से इनकार सकते हैं। लेकिन हाल ही में रिजर्व बैंक ने आरबीआई ने हाल में क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज रेगुलेशन 2006 में बदलाव किया है। इसके तहत कई फिनटेक कंपनियों को क्रेडिट ब्यूरो का डाटा एक्सेस करने की छूट दे दी गई है।
ऐसे में क्रेडिट स्कोर खराब होने पर बीमा क्षेत्र से जुड़ी फिनटेक कंपनियां आपको बीमा पॉलिसी देने से मना भी कर सकती हैं। इसके अलावा स्टॉक ब्रोकर आपका डी- मैट खाता खोलने से इनकार कर सकता है जिससे मतलब आप शेयर बाजार में निवेश नहीं कर पाएंगे। हालांकि, फिनटेक कंपनियों को ग्राहकों के क्रेडिट स्कोर संबंधी डाटा का एक्सेस मिलने के बाद ईमानदारी कर्जदारों के लिए कर्ज लेने के कई अन्य विकल्प खुल जाएंगे। इससे कर्ज देने के लिए इन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे ग्राहकों को लाभ होगा।
क्या है क्रेडिट स्कोर
इसे 300 से 900 अंकों के बीच आंका जाता है। सिबिल समेत कई कंपनियां इसका आकलन करती हैं। सस्ते कर्ज के लिए 750 से अधिक ऊंचा स्कोर अच्छा माना जाता है। इसके आकलन लिए गए कर्ज की चुकाई जा रही ईएमआई के आधार पर होता है। बिना कोई चूक किए ईएमआई चुकाने पर क्रेडिट स्कोर बढ़ता है। जबकि चूक करने पर घटता है।
क्रेडिट कार्ड में डिफॉल्ट से ज्यादा नुकसान
क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन असुरक्षित श्रेणी के कर्ज माने जाते हैं। इसकी वजह से क्रेडिट कार्ड के बिल भुगतान में देरी या चूक पर क्रेडिट स्कोर ज्यादा तेजी से घटता है। वहीं पर्सनल लोन की ईएमआई चूक पर भी स्कोर तेजी से घटता है। होम लोन या कार लोन सुरक्षित कर्ज माने जाते हैं, लेकिन इनकी ईएमआई में चूक होने पर भी स्कोर घटता है।