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कोरोना महामारी के चलते आय घटी, महंगाई बढ़ी तो लोग करने लगे अपने खान-पान में कटौती

नई दिल्ली।

कोरोना महामारी के चलते आय घटने और महंगाई के कारण पिछले साल भारत में लोगों ने खान-पान में कटौती की है। वैश्विक उपभोक्ता रिसर्च फर्म केंटर वर्ल्डपैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में देश में रोजाना इस्तेमाल होने वाली ग्रॉसरी और आवश्यक वस्तुओं की खपत स्थिर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 की दिसंबर तिमाही में देश में खपत में गिरावट रही है, जबकि पूरे वर्ष में केवल 0.1 फीसदी की ग्रोथ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में खपत में 1.3 फीसदी की ग्रोथ रही थी, लेकिन शहरी क्षेत्रों में 1.1 फीसदी की गिरावट के कारण कुल ग्रोथ में कमी रही है। अधिकांश एफएमसीजी कंपनियों के लिए शहरी क्षेत्र बड़े बाजार होते हैं और कुल बिक्री में इनकी दो-तिहाई हिस्सेदारी है। पारले प्रोडक्ट्स के सीनियर कैटेगरी प्रमुख कृष्णराव का कहना है कि 2020 में घरों और पेंट्री में खपत बढ़ने से खाद्य उत्पादों की मांग में मजबूती देखी थी। इसके अलावा कीमतों में बढ़ोतरी भी की गई थी, लेकिन उपभोक्ताओं की ओर से अधिक खरीदारी करने के कारण महंगाई का असर नहीं दिखा था।
 

व्यक्तिगत और घरेलू देखभाल उत्पाद की मांग बढ़ी

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में व्यक्तिगत और घरेलू देखभाल उत्पादों की मांग बढ़ी, लेकिन खाद्य उत्पादों की गिरावट से कुल बाजार नीचे आ गया। कुल खपत में खाद्य उत्पादों की करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी है। हालांकि, बिक्री के लिहाज से उत्पादों की संख्या में गिरावट के बावजूद अधिकांश कंपनियों के राजस्व में दो अंकों की वृद्धि रही है। इसकी वजह इनपुट लागत में कमी लाने के लिए कीमतों में की गई बढ़ोतरी है।

2020 में 4.2 फीसदी बढ़ा था एफएमसीजी बाजार

एफएमसीजी बाजार 2020 में 4.2 फीसदी बढ़ा था। हाइजीन उत्पादों और बाहर मिलने वाले स्नैक की घरों में खरीदारी ज्यादा होने से बाजार में बढ़त रही थी। हालांकि, 2021 में इनकी बिक्री में कमी आई है। इसकी वजह कोरोना से जुड़े प्रतिबंधों में ढील के कारण आई गतिशीलता है। रिपोर्ट के मुताबिक, अब लोग स्वच्छता और व्यक्तिगत देखभाल पर कम ध्यान दे रहे हैं। साथ ही कोरोना की ताजा लहरों में हाइजीन उत्पादों का पहली लहर जैसा इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

खपत में ज्यादा गिरावट नहीं

केंटर वर्ल्डपैनल डिविजन के साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक के. रामकृष्णन का कहना है कि कीमतों में तेज वृद्धि के बावजूद खपत में ज्यादा गिरावट नहीं है। उत्पादों की बिक्री संख्या बनी हुई है जो एफएमसीजी बास्केट की मजबूती के बारे में बताता है। रामकृष्णन के मुताबिक, दिसंबर तिमाही में प्रदर्शन ज्यादा खराब था, तब उत्पादों की बिक्री संख्या के मामले में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में एफएमसीजी बाजार 2 फीसदी तक गिर गया था। पिछले सप्ताह मारिको के एमडी संजीव गुप्ता ने निवेशकों से बातचीत में कहा था कि यह मंदी काफी ऑप्टिकल थी क्योंकि हमारा आधार काफी ऊंचा था। उन्होंने कहा कि जब भी महंगाई होती है खासतौर पर खाद्य या अन्य महंगाई, तो परिवार के खर्च में एफएमसीजी की हिस्सेदारी में थोड़ी कमी आती है।

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