एक रुपये डीजल महंगा होने पर इतना बढ़ेगा माल भाड़ा, दाल, चीनी से लेकर खाद्य तेल की कीमतों पर पड़ेगा असर

नई दिल्ली
चार महीने के बाद फिर से पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। एक ही झटके में प्रति गैस सिलेंडर 50 रुपये का इजाफा किया जा चुका है। इसके साथ ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी 137 दिनों के बाद बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। सरकार बल्क (भारी मात्रा) में डीजल की खरीद की कीमत प्रति लीटर 25 रुपये बढ़ा चुकी है। उधर, सीएनजी के दाम भी बीते वर्ष जून से अब तक 16.01 रुपये प्रति किलो बढ़ चुके हैं। इससे साफ है कि माल ढुलाई महंगी होने जा रही है। ट्रांसपोर्टर इसका संकेत भी दे चुके हैं। दिल्ली में शहर की सीमा के अंदर हल्के छोटे वाहनों से ढुलाई होती है, जो लगभग 95 फीसदी सीएनजी पर संचालित हैं, जबकि दूसरे राज्यों से आने वाले सामान भारी ट्रकों से आता है, जो डीजल पर चलते हैं। इसलिए दोनों स्तर पर ट्रांसपोर्ट महंगा होने जा रहा है।
आधा पैसा बढ़ेगी ट्रांसपोर्टर लागत
ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सीईओ जयप्रकाश सिंघल का कहना है कि ट्रांसपोर्टर अबतक मालभाड़ा नहीं बढ़ा रहे थे, लेकिन कीमतें बढ़ती हैं तो जाहिर तौर पर फैसला लेना होगा। अगर डीजल एक रुपये प्रति लीटर बढ़ता है तो हमारा खर्च भी आधा (.50 पैसा) फीसदी बढ़ जाता है, क्योंकि परिवहन के रूप में फ्यूल खर्च कुल खर्च का 60 फीसदी होता है।
डीजल की कीमतें बढ़ेंगी मालभाड़ा भी बढ़ेगा
इसलिए, जिस अनुपात में डीजल की कीमतें बढ़ेंगी मालभाड़ा भी बढ़ेगा। सीएनजी से स्थानीय ढुलाई भी महंगी हो गई है। अब इन सब का असर सभी वस्तुओं की कीमतों पर देखने को मिलेगा। क्योंकि दिल्ली उत्पादक राज्य नहीं है। लगभग शतप्रतिशत सामान बाहर से आता है, इसलिए अधिकांश उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी। साथ में उन उत्पादों की कीमतों पर असर दिखेगा, जो दिल्ली में कच्चे माल से तैयार कर दूसरे प्रदेशों को बिक्री के लिए सप्लाई की जाती हैं।
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री हेमंत गुप्ता कहते हैं कि दाल, चीनी से लेकर खाद्य तेल की कीमतों में बीते दो हफ्तों से नरमी देखने को मिल रही थी। अब डीजल की कीमतें बढ़ने से ट्रांसपोर्ट महंगा होगा, जिससे कीमतों पर असर पड़ेगा। सीएनजी की कीमतें पहले से ही एक वर्ष से भी कम समय में 16 रुपये प्रति किलो बढ़ गई है, जिससे स्थानीय स्तर पर ढुलाई महंगी हुई है। डीजल महंगा होने से मालभाड़ा बढ़ जाएगा।
‘मजबूरी में किराया बढ़ाना पड़ेगा’
स्कूल ट्रांसपोर्ट एकता यूनियन के अध्यक्ष रामचंद्र का कहना है कि दो साल पहले सीएनजी की कीमत 38 रुपये थी। अब लगभग 59 रुपये है। अभिभावक एक बार फिर हमें बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए कह रहे हैं। अभिभावक कैब का किराया कम करने की मांग कर रहे हैं लेकिन सीएनजी की कीमत बढ़ गई है। गाड़ी का मेंटनेंस भी महंगा हो गया है। फिटनेस पेनाल्टी खत्म करने की मांग की थी उसे भी सरकार ने नहीं माना, इसलिए किराया बढ़ाना मजबूरी है।