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क्या डॉलर के वर्चस्व को कड़ी चुनौती देने को तैयार है डिजिटल युवान

नई दिल्ली
चीन की मुद्रा डिजिटल युवान से अगले एक दशक में वैश्विक कारोबार में डॉलर (अमेरिकी मुद्रा) के वर्चस्व को जोरदार चुनौती मिलेगी। ये बात मुद्रा जगत के विशेषज्ञ रिचर्ड टरिन ने कही है। टरिन ‘कैशलेशः चाइना’ज डिजिटल करेंसी रिवोल्यूशन’ नाम की किताब के लेखक हैँ। उन्होंने अमेरिकी टीवी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में कहा- ‘ये बात याद रखनी चाहिए चीन आयात-निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश है। आप देखेंगे कि चीन से चीजों की खरीदारी में डिजिटल युवान डॉलर की जगह ले लेगा।’

युवान की बढ़ रही स्वीकार्यता
टरिन का ये इंटरव्यू उस समय प्रसारित हुआ है, जब यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय कारोबार की मुद्रा के रूप में डॉलर के भविष्य को लेकर नए सिरे से सवाल उठाए जा रहे हैँ। रूस ने चीन के साथ आयात-निर्यात में चीन की मुद्रा को लगभग अपना लिया है। इसके अलावा दूसरे देशों के साथ व्यापार में भी युवान के उपयोग का विकल्प दे रहा है। इस बीच ये खबर भी आई है कि कच्चे तेल का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश सऊदी अरब भी डॉलर को झटका देने की तैयारी में है। चीन को बेचे जाने वाले तेल की कीमत युवान में स्वीकार करने के बारे में वह गंभीरता से विचार कर रहा है।

अभी 80% से ज्यादा व्यापार डॉलर में
इस बारे में अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने खबर छापी है। इसके मुताबिक इस बारे में सऊदी अरब और चीन के बीच बातचीत चल रही है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक अभी दुनिया में कच्चे तेल की 80 फीसदी से भी ज्यादा बिक्री डॉलर में होती है। ये चलन 1974 से जारी है। लेकिन अब अगर सऊदी अरब ने डॉलर की जगह युवान में तेल बेचना शुरू किया, तो उससे चीनी मुद्रा की दुनिया में हैसियत काफी मजबूत हो जाएगी। जबकि डॉलर के लिए यह एक बड़ा झटका होगा। अखबार ने कहा है कि चीन पहले से ही वित्त जगत में अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने की तैयारी में जुटा रहा है।

चीन में शुरू किया युवान का इस्तेमाल
इस बीच चीन अपनी डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल शुरू कर चुका है। ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश है। सीएनबीसी को दिए इंटरव्यू में रिचर्ड टरिन ने कहा- ‘अगर हम पांच से दस साल आगे नजर डालें, तो कहा जा सकता है कि डिजिटल युवान अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर का उपयोग घटाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वैकल्पिक भुगतान व्यवस्था को अपनाने के पीछे विभिन्न देशों के लिए प्रेरक कारण उनकी यह इच्छा होगी कि डॉलर पर से शत-प्रतिशत निर्भरता घटाई जाए।’

डॉलर के प्रति निर्भरता घटेगी
टरिन बैंकर रह चुके हैँ। इसके अलावा वित्त बाजार की एजेंसी फिनटेक के साथ भी वे काम चर चुके हैँ। उन्होंने कहा- भविष्य में हम डॉलर पर निर्भरता घटाने का रुझान देखेंगे। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन वित्तीय तकनीक में वह तमाम दूसरे देशों की तुलना में एक दशक आगे निकल चुका है। उन्होंने कहा- अमेरिका को डिजिटल डॉलर लॉन्च करने की योजना बनाने और उसका परीक्षण करने में अभी कम से कम पांच साल लगेंगे।

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