फ्रैंकलिन टेम्पलटन से सबक- अब आपकी मंजूरी की बिना नहीं बंद हो पाएंगी म्यूचुअल फंड स्कीम
नई दिल्ली
शेयर बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड ट्रस्टियों को निर्देश दिया है कि किसी योजना को बंद करने या क्लोज-एंडेड स्कीम की यूनिट्स को समय से रिडीम करने से पहले यूनिट होल्डर्स की सहमति हासिल करें। फ्रैंकलिन टेम्पलटन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से यह निर्णय लिया गया है।मौजूदा नियमों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड में उपयोग किए गए पैसे, प्रॉपर्टी या एसेट को मैनेज करने वाले लोगों के पास यूनिटधारकों की सहमति के बिना योजनाओं को बंद करने का अधिकार है।
वोटिंग के आधार पर मंजूरी लेनी होगी
सेबी ने एक रिलीज़ में कहा कि स्कीम को बंद करने के लिए ट्रस्टी को एक वोट प्रति यूनिट के आधार पर यूनिटहोल्डर्स की सहमति लेनी होगी और वोटिंग के 45 दिनों के भीतर मतदान के परिणाम प्रकाशित करने होंगे। यह संशोधन इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक है कि ट्रस्टियों को किसी योजना को बंद करने या समय से पहले रिडीम करने पर यूनिटधारकों की सहमति लेनी चाहिए।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने बंद किए थे 6 डेब्ट फंड
रिडेम्पशन के दबाव के चलते फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने 23 अप्रैल 2020 को लगभग ₹26,000 करोड़ की एसेट वाले 6 के साथ छह डेट फंडों में रिडेम्पशन फ्रीज कर दिया था ।इन म्यूचुअल फंड में लो ड्यूरेशन फंड, डायनेमिक एक्रुअल फंड, क्रेडिट रिस्क फंड, शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड शामिल थे। अब तक इन छह योजनाओं में निवेशकों को कुल ₹25,114 करोड़ लौटाए जा चुके हैं। म्यूचुअल फंड बंद करने कि घोषणा से मुकदमेबाजी की झड़ी लग गयी थी, मामला सुप्रीम कोर्ट तक पंहुचा और कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ट्रस्टियों को ऐसे मामलों में यूनिटहोल्डर की सहमति लेनी चाहिए।
सहमति न मिलने पर फिर से खुलेंगी स्कीम
सेबी ने कहा है कि यदि ट्रस्टी सहमति प्राप्त करने में विफल रहते हैं, तो योजना को वोट के रिजल्ट के प्रकाशन के दूसरे कारोबारी दिन से बिज़नेस गतिविधियों के लिए खोलना होगा। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि ट्रस्टी द्वारा समापन को मंजूरी देने के बाद 45 दिनों के लिए एक ठहराव होगा, जिसके दौरान यूनिटधारकों को अपनी सहमति देनी होगी, अगर सहमति नहीं मिलती है, तो स्कीम्स फिर से खुल जाएंगी।