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LIC के IPO को मिली सेबी की मंजूरी, इक्विटी शेयर बेच जुटाएगी 63000 करोड़ रुपये

नई दिल्ली
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के आईपीओ को बाजार नियामक सेबी की मंजूरी मिल गई है। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आईपीओ के जरिए फंड जुटाने के लिए सेबी ने हरी झंडी दिखा दी है। सेबी के पास दायर ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) के अनुसार, सरकार चालू वित्त वर्ष में 78,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए जीवन बीमा फर्म में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी।

13 फरवरी को जमा किए थे दस्तावेज
सरकार एलआईसी के 31 करोड़ से अधिक इक्विटी शेयर बेचेगी और इसके जरिए कंपनी ने 63000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। यहां बता दें कि एलआईसी की ओर से सरकार ने बीती 13 फरवरी को सेबी के पास डीआरएचपी यानी आईपीओ प्रस्ताव जमा किया गया था। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते ऐसी संभावना भी जताई जा रही थी कि इस साल सरकार विनिवेश के लक्ष्य से चूक सकती है और एलआई के आईपीओ को अगले वित्त वर्ष के लिए टाला जा सकता है।

10 फीसदी हिस्सा पॉलिसीधारकों के लिए
दस्तावेजों के अनुसार, एलआई के आईपीओ का एक हिस्सा एंकर निवेशकों के लिए आरक्षित होगा। इसके अलावा एलआईसी आईपीओ इश्यू साइज का 10 फीसदी तक पॉलिसीधारकों के लिए और पांच फीसदी कर्मचारियों के लिए आरक्षित होगा। बता दें कि एलआईसी का ये आईपीओ देश के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा।

पूरी तरह ऑफर फॉर सेल आईपीओ
एलआईसी का ये आईपीओ अब तक सबसे बड़ा आईपीओ होगा। सेबी में सौंपे गए डीआरएपी के अनुसार, एलआईसी का इश्यू पूरी तरह ऑफर फॉर सेल होगा। इसमें सरकार अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी के अंतर्गत 31.6 करोड़ शेयर जारी करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस हिसाब से कंपनी की एम्बेडेड वैल्यू 5.4 लाख करोड़ रुपये होगी। अमूमन किसी बीमा कंपनी का मार्केट कैप इस वैल्यू का चार गुना होता है। इस हिसाब से देखें तो एलआईसी की मार्केट वैल्यू 288 अरब डॉलर यानी करीब 22 लाख करोड़ रुपये होगी और एलआईसी देश की सबसे बड़ी मूल्यवान कंपनी बन जाएगी।

20 फीसदी एफडीआई को मंजूरी
गौरतलब है कि बीते दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में एलआईसी आईपीओ को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया था। दरअसल, आईपीओ-बाउंड एलआईसी में एफडीआई की अनुमति दे दी गई थी। बैठक में एलआईसी में ऑटोमेटिक रूट से 20 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी पर मुहर लगाई गई थी। इस फैसले के बाद एलआई के प्रस्तावित आईपीओ में विदेशी निवेश का रास्ता खुल गया है।

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