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महंगाई के चलते टल सकता है जीएसटी दरों का विलय, अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बनाने की योजना पर ग्रहण

नई दिल्ली।  

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से सरकार की जीएसटी दरों के विलय और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बनाने की योजना फिलहाल टलती दिख रही है। लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीन राज्यों के वित्त मंत्रियों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। गौरतलब है कि एन. के. सिंह की अगुआई वाले 15वें फाइनेंस कमीशन ने भी जीएसटी की दरों का विलय कर तीन दरें बनाने की सलाह दी थी।

जीएसटी काउंसिल में शामिल मंत्रियों ने कहा कि महंगाई के असर को देखते हुए दरों के विलय को टाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल हालात का आकलन करेगी और सुधार के समय को लेकर फैसला करेगी। दरों को व्यवस्थित करने का काम देख रहे मंत्रियों के समूह की अभी तक दो बार मीटिंग हो चुकी है और इससे जुड़ी सिफारिशों को लेकर ज्यादा प्रगति नहीं हुई है।

वर्तमान में, जीएसटी में 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी के चार स्लैब हैं। जरूरी सामान या तो सबसे कम स्लैब में है या उनपर कोई टैक्स नहीं है। महंगे सामान सबसे ऊंचे स्लैब में हैं। इनपर 28 फीसदी के सबसे ज्यादा स्लैब के साथ ही सेस भी लगता है। इस सेस कलेक्शन का उपयोग जीएसटी रोलआउट के कारण राज्यों को हुए रेवेन्यू लॉस की भरपाई के लिए किया जाता है। इनमें से 12 फीसदी और 18 फीसदी के स्लैब को मिलाकर 15 फीसदी किए जाने की चर्चा है।

जीओएम में शामिल पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि पैनल की बैठक 27 नवंबर को होने की उम्मीद थी, लेकिन उसे टाल दिया गया। भट्टाचार्य ने कहा, सिफारिशें तैयार करने के मामले में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। बैठक की नई तारीख के बारे में अभी बताया नहीं गया है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, उत्तर प्रदेश और गोवा के मंत्रियों की उपलब्धता नहीं होने के कारण बैठक नहीं हो सकी है। अब इन राज्यों में सरकारें बन गई हैं, इसलिए जल्द ही पैनल की मीटिंग होगी। इस संबंध में वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता को भेजे गए मेल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

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