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भारत से मदद मिलने के बाद क्या दूर हो जाएंगी श्रीलंका की समस्याएं? एक्सपर्ट की है ये राय

 नई दिल्ली

भारत के वित्तीय पैकेज ने कुछ समय के लिए श्रीलंका को बड़े आर्थिक संकट से बचा लिया है। श्रीलंका के शीर्ष अर्थशास्त्री डब्ल्यूए विजयवर्द्धने ने शनिवार को यह बात कही। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने चेताया कि देश में विदेशी मुद्रा संकट के मद्देनजर गोटबाया राजपक्षे सरकार को तत्काल अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से मदद लेने की जरूरत होगी।
        
इस द्वीपीय देश में लगभग सभी आवश्यक वस्तुओं की कमी के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को श्रीलंका को अपने घटते विदेशी मुद्रा भंडार और खाद्य आयात के लिए 90 करोड़ डॉलर के ऋण की घोषणा की है। श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर अजीत निवार्ड कैब्राल से मुलाकात की। उन्होंने गवर्नर के साथ मुलाकात में ''पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक द्वारा दी गई 90 करोड़ डॉलर से अधिक की ऋण सुविधा के बीच भारत की ओर से श्रीलंका को समर्थन का भरोसा दिलाया।''

विजयवर्द्धने ने कहा कि भारत की समय पर सहायता ने श्रीलंकाई सरकार को दो महीने की राहत दी है। इस दौरान कठिन आर्थिक सुधारों को लागू करने और स्थायी समाधान के लिए आईएमएफ से एक 'बेलआउट' की आवश्यकता है।उन्होंने कहा, ''भारत के हस्तक्षेप से श्रीलंका को मदद मिली है, लेकिन वे हमें संकट से बाहर नहीं निकाल सकते। हमें भारत से मिली मदद का सम्मान करते हुए आईएमएफ से मदद लेने की जरूरत है।''
        
विजयवर्द्धन की टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर और श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे द्वारा शनिवार को श्रीलंका को भारतीय आर्थिक सहायता पर एक व्यापक वर्चुअल बैठक के बाद आई है। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि बैठक के दौरान जयशंकर ने बताया कि भारत हमेशा श्रीलंका के साथ खड़ा रहा है, और कोविड-19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक और अन्य चुनौतियों पर काबू पाने के लिए वह उसका हरसंभव तरीके से समर्थन जारी रखेगा। आईएमएफ से राहत प्राप्त करने का मुद्दा विवादास्पद रहा है, जिसको लेकर श्रीलंकाई मंत्रिमंडल में काफी मतभेद हैं।

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