विशेष

गांधी के उत्तराधिकारी नाम से नहीं, कर्म से तय होंगे 

विष्णुदत्त शर्मा

अखिल विश्व में स्वयं के अहिंसावादी मूल्यों के लिए विख्यात महात्मा गांधी आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने वह अपने जीवनकाल में थे। दो अक्टूबर को बापू की 154वीं जयंती के अवसर पर भारत ही नहीं अपितु विश्व के अनेक देश मानवता और मानवीय मूल्यों के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले इस युग-पुरुष को याद करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं। बापू का पूरा जीवन शोषित, पीड़ित एवं वंचितों के लिए समर्पित रहा। वो अहिंसा के ऐसे विश्वदूत बने, जिनका व्यक्तित्व भारत ही नहीं अपितु विश्व के लिए एक नई मिसाल बन गया। यही कारण है कि आज संपूर्ण विश्व में बापू के प्रति अगाध श्रद्धा एवं आस्था रखता है। उनका स्वच्छता एवं स्वदेशी के प्रति प्रेम अनुकरणीय है।
दुर्भाग्य से देश की आजादी के बाद सबसे लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी ने बापू के नाम और उनके विचारों का राजनीतिक लाभ के लिए भरपूर उपयोग तो किया, लेकिन न तो उन्हें श्रद्धा और सम्मान दिया, न ही उनके विचारों को आत्मसात कर, उनके पदचिन्हों पर चलने और देश को चलाने का प्रयास किया। उनके लिए बापू की सीखें और दर्शन मौके-बेमौके, विभिन्न समारोहों में प्रदर्शन की वस्तु बनकर रह गए। उन्हें न ही स्वदेशी से कोई सरोकार था न ही बापू के सबसे बड़े सपने, देश में स्वच्छता से। उन्हें मतलब था तो केवल गाँधी जी के नाम पर थोक के भाव राजनीतिक वोट बैंक हथियाने से। इसी कारण देश के लाखों लोग साल दर साल प्रदूषण, स्वच्छता के अभाव में होने वाली बीमारियों और दूषित पानी के कारण काल के ग्रास में चले जाते थे या अनेक गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते थे।
बापू के विचारों, उनकी सीखों, उनके दर्शन को अपनाकर उन्हें अपने और राष्ट्रीय आचरण में उतारने का ईमानदार प्रयास 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने शुरू किया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के लिए स्वच्छता से लेकर स्वदेशी तक और गरीबों के लिए कल्याणकारी रामराज्य से लेकर आत्मनिर्भर भारत तक कोई आदर्श वाक्य नहीं है, बल्कि व्यवहारिक प्रयोग हैं। सच्चे अर्थों में प्रधानमंत्री श्री मोदी महात्मा गांधी के विचारों और मूल्यों को, उनके सपनों को  जमीन पर उतारने का काम कर रहे हैं।
देश के वर्तमान प्रधानमंत्री एवं विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता श्री नरेन्द्र मोदी एवं भारतीय जनता पार्टी की बापू के प्रति अगाध श्रद्धा सर्वविदित है। मोदी जी दिखावा पसंद राजनेता कभी नहीं रहे। उन्होंने किसी महापुरुष की कीर्ति को अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ के लिए भुनाने हेतु कभी अनैतिक प्रयास भी नहीं किए। किन्तु पूरी निष्ठा और ईमानदारीपूर्वक देश के महापुरुषों के द्वारा देखे गए स्वप्नों को पूरा करने के लिए भारत माँ का यह सच्चा सपूत दिन-रात बिना थके-बिना रुके “रामकाज किन्हें बिनु मोहि कहाँ विश्राम” के भाव के साथ लगे हुए हैं। उनके लिए राष्ट्रसेवा ही रामकाज है।
वैसे कुछ लोग इस बात से असहमत भले हों किन्तु फिर भी मुझे कहने में तनिक भी संकोच नहीं कि श्रद्धेय बापू और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी में अनेक विशिष्ट समानताएँ हैं। दोनों अद्भुत परिश्रमी और प्रचण्ड पुरुषार्थी हैं। दोनों स्वच्छता एवं स्वदेशी के दुर्लभ पैरोकार हैं। दोनों की लोकप्रियता भी सर्वविदित है। दोनों के मन मस्तिष्क में राष्ट्र प्रथम के साथ ही मानवता की सेवा और विश्व बंधुत्व का भाव भी समान रुप से दृष्टिगत होता है। गुजरात की पवित्र माटी में जन्मे इन दोनों सपूतों ने भारत माता का मस्तक अपने कृतित्व के माध्यम से सदैव ऊंचा रखा है।
“स्वच्छता, स्वतंत्रता से ज्यादा जरुरी है।“ महात्मा गांधी द्वारा कहे गए इस वाक्य को आत्मसात करते हुए 2 अक्टूबर 2014 को बापू की जयंती के अवसर पर श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार ने स्वच्छता को मिशन बनाकर एक ऐसे जनान्दोलन के रुप में परिवर्तित कर दिया जो सम्पूर्ण विश्व के लिए कौतूहल का विषय हो गया। हर कोई इस अभियान की सफलता देखकर हतप्रभ रह गया। बड़े-बड़े सेलीब्रिटी, राजनेता एवं भारत के सभी लोग हाथ में झाडू लेकर अपने- अपने गली मोहल्ले की सफाई में लग गए। सार्वजनिक जगहों में बिना रोक-टोक के गंदगी फैलाने वाले लोग स्वयं से कचरा उठाकर डस्टबिन में डालने लगे। साथ ही खुलेआम शौच करने वाले आमजन भी स्वयं के साथ दूसरों को भी शौचालय के महत्व समझाने लगे। कुल मिलाकर सभी एक नई गति और नए कलेवर के साथ बदलते भारत की नवीनतम तस्वीर बनाने में जुट गए।
महात्मा गांधी ने कहा था-“यदि हम अपने घरों के पीछे सफाई नहीं रख सकते तो स्वराज की बात बेईमानी होगी। हर किसी को स्वयं अपना सफाईकर्मी होना चाहिए”। प्रधानमंत्री मोदी जी के आह्वान पर महात्मा गांधी द्वारा प्रेरित स्वच्छता अभियान के प्रति देश ने एक ऐसा क्रान्तिकारी परिवर्तन देखा, जिसमें जन-जन ने अपना अभूतपूर्व सहयोग देकर स्वच्छ भारत की छवि में चार चाँद लगा दिए। 2014 में यूएन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी खुले में शौच करती थी। लेकिन इस स्वच्छता अभियान के पांच वर्ष बाद ही सन् 2019 में बापू के 150 वीं जयंती तक 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण करके ग्रामीण भारत ने स्वयं को “खुले में शौच” से मुक्त करके स्वयं के ऊपर लगे कलंक से मुक्ति प्राप्त कर ली।
“जो परिवर्तन आप दूसरों में देखना चाहते हैं वह सबसे पहले अपने आप में लागू करें।“। बापू की इस बात को स्वयमेव लेते हुए देश की जनता, भारतीय जनता पार्टी के समस्त कार्यकर्ता और तमाम समाजसेवी संगठनों ने मिलकर अपना अभूतपूर्व योगदान दिया। कोई भी कार्य कुशल नेतृत्व एवं मजबूत संगठन के बिना अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकता। दूरदर्शी सोच और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर ही मध्यप्रदेश स्वच्छता के मापदण्ड पर देशभर में शुरुआत से ही अव्वल रहा है। केन्द्रीय नेतृत्व और प्रदेश संगठन के साझा प्रयासों ने एक नया इतिहास दर्ज़ करवाते हुए मध्यप्रदेश को स्वच्छता में अग्रणी राज्य का तमगा दिलवाया।
प्रधानमंत्री श्री मोदी के आह्वान पर पूरे देश में चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के सुखद परिणाम अब दिखाई देने लगे हैं और यह अभियान देश में अब एक सामाजिक परिवर्तन का वाहक बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण भारत के खुले में शौच मुक्त होने के बाद से हैजा जैसी संक्रामक बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। महिलाओं को शर्मिंदगी नहीं झेलनी पड़ती है और ग्रामीण इलाकों में महिला अपराधों और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। इसी अभियान के अंतर्गत पहल करते हुए भारतीय रेलवे ने ट्रेन के कोचों में बॉयो डाइजेस्टर युक्त शौचालयों का प्रयोग शुरू किया, जिसके बाद से रेलवे ट्रैक, रेल्वे प्लेटफॉर्म और स्टेशन गंदगी से मुक्त हो गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव लोगों की आदत में आया है और वह यह है कि आज सार्वजनिक स्थल पर कचरा फेंकने से पहले दस बार सोचता है और अगर उसे मजबूरी में इधर-उधर कचरा फेंकना भी पड़़े, तो ऐसा करते समय वह कहीं न कहीं अपराध बोध से ग्रसित महसूस करता है। देश के लोगों में स्वच्छता के प्रति यही जिम्मेदारी का भाव पैदा कर देना प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रयासों की सबसे बड़ी सार्थकता है।
इन तमाम विसंगतियों के प्रति सूक्ष्म एवं दूरदर्शी सोच रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान, हर घर जल योजना, उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत योजना सहित अनेकों प्रभावकारी योजनाओं के माध्यम से एक निर्णायक परिदृश्य का निर्माण किया है। जहां हर कोई आत्मविश्वास के साथ कह सकता है कि मेरा देश बदल रहा है। और यह बदलाव एक ऐसे जननायक के माध्यम से आया है जो किसी भी स्थिति में देश को सर्वोपरि मानता है। वह राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर बिना किसी लाग-लपेट या संकोच के मजबूती से अडिग रहता है। वह शांति का हिमायती है लेकिन डरपोक नहीं, वह अन्तरराष्ट्रीय संबंधों का पक्षधर है किन्तु देशहित को प्रभावित किए बिना। वह सही को सही और गलत को गलत कहने का दम रखता है। तभी तो समूचा विश्व उसके सम्मोहन के मोहपाश में है।
आज जब देश महात्मा गांधी जी की 154 वीं जन्म-जयंती मना रहा है। भारत प्रगति के नित नए आयाम गढ़ रहा है। आज 140 करोड़ देशवासियों की सम्मिलित शक्ति का भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था और महाशक्ति बन चुका है। दुनिया की आँख से आँख मिलाने का यह दमखम देश ने स्वदेशी की शक्ति से अर्जित किया है। आज हमारी तकनीकी शक्ति और समृद्धि से चन्द्रयान के रूप में अंतरिक्ष क्षेत्र गुंजायमान हो रही है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में हम सभी का यह प्राथमिक कर्तव्य होना चाहिए कि राष्ट्रसेवक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का हमारा संकल्प कहीं मंदा न पड़े। स्वच्छता के रूप में समृद्ध भारत के वैभव का दर्शन सम्पूर्ण विश्व को प्राप्त हो इससे बेहतर और सच्ची श्रद्धांजलि गांधी जी को और क्या होगी? मेरी समझ से आज देश में यह अनिवार्य बहस भी होनी चाहिए कि महात्मा गांधी के वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी जबरन उनके नाम को अपनाने वाले होंगे या फिर उनके काम और विजन को आत्मसात करने वाले।

(लेखक-भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं)

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