
सीहोर। मुख्यमंत्री शिवजराज सिंह चौहान नारी सशक्तिकरण को लेकर लगातार कवायद कर रहे हैं। महिलाओं के उत्थान और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, लेकिन उनके गृह जिले सीहोर में जिला मुख्यालय पर चिलचिलाती धूप में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सहायिकाओं द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। इनका आंदोलन विभिन्न मांगों को लेकर चल रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं इस बार पूरी तरह से आर-पार की लड़ाई के मूड में है। वे इस बार आंदोलन तभी समाप्त करेंगी, जब उनकी मांगों को माना जाएगा।
होशंगाबाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता, सहायिका कल्याण समिति (संघ) मध्यप्रदेश के तत्वावधान में जारी इस आंदोलन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की प्रमुख मांग है कि उन्हें राज्य सरकार का नियमित कर्मचारी घोषित किया जाए। न्यूनतम वेतन भी 26 हजार किया जाए। यहां बता दें कि अभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 10 हजार एवं सहायिकाओें को 5 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है। इसके अलावा उनकी मांग है कि सेवानिवृत्ति पर कार्यकर्ताओं को 5 लाख रुपए एवं सहायिकाओं को 3 लाख रुपए दिए जाएं। कोरोनाकाल की प्रोत्साहन राशि 10 हजार रुपए भी दी जाए। मिनी कार्यकर्ता को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में पदोन्नत किया जाए और भविष्य में केवल सहायिका और कार्यकर्ता की भर्ती की जाए। वरियता के आधार पर कार्यकर्ता से सुपरवाईजर, सहायिका से कार्यकर्ता के पद पर पदोन्नति दी जाए।
प्रभावित हो रहा है कामकाज-
दरअसल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं के आंदोलन पर रहने के कारण बच्चों के लिए चल रहे टीकाकरण अभियान पर भी बुरा असर पड़ रहा है। आंगनबाड़ी में बच्चों की पढ़ाई एवं अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। जिलेभर की सभी 1415 आंगनबाड़ियां इस समय बंद हैं, क्योंकि सभी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं आंदोलन कर रही हैं।
ये भी हैं अन्य मांगे-
– मोबाइल पर कार्य करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए। मध्यप्रदेश हिंदी भाषी राज्य है, इसलिए सभी कार्य हिन्दी में लिए जाएं।
– सभी कर्मचारियों की तरह देय सभी सामान्य व्यक्ति का अवकाश केंद्रों में लागू किया जाए। 25 दिन का आकस्मिक अवकाश एवं 3 दिन का ऐच्छिक अवकाश दिया जाए।
– बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए बिना कार्य कर कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की सेवाएं समाप्त न की जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से वैक्सिन का कार्य कराया जाता है, इसके उपरांत भी विभाग द्वारा केंद्रों का निरीक्षण कर मानदेय काटा जाता है एवं सेवा समाप्त की जाती है, यह कृत्य बंद किया जाए।
– आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मिनी कार्यकर्ताओं को प्रत्येक माह की 5 तारीख तक मानदेय का भुगतान कराना निश्चित किया जाए, ताकि हम लोग समय से हमारी आवश्यकताओं एवं परिवार का भरण पोषण कर सकें।
इनका कहना है-
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की मांगों को लेकर विभिन्न संगठनों द्वारा संचालनायल में ज्ञापन दिया गया था, जिसका प्रतिउत्तर भी इनके संगठनों को दिया जा चुका है। इनकी मांगों पर कार्रवाई चल रही है। आंदोलनरत कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं से मैंने भी जाकर मुलाकात की थी एवं उनसे कहा है कि वे आंदोलन समाप्त करके काम पर लौटे। जल्द ही इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।
– प्रफुल्ल खत्री, जिला अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, सीहोर
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं की विभिन्न मांगों को लेकर हमारा धरना एवं प्रदर्शन चल रहा है। हमारी प्रमुख मांगों में राज्य सरकार का कर्मचारी घोषित करना, मानदेय बढ़ाकर 26 हजार करना सहित विभिन्न मांगे हैं। जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक हमारा आंदोलन अनवरत जारी रहेगा। हम अनिश्चितकाल तक आंदोलन करते रहेंगे।
– रेण शर्मा, जिलाध्यक्ष, होशंगाबाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता, सहायिका कल्याण समिति (संघ), मध्यप्रदेश