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नीट से आयुष कोर्स में दाखिले देने को कोर्ट में चुनौती, अदालत ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

नई दिल्ली
राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के खिलाफ कुछ आयुष अभ्यर्थियों की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा। याचिका में आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, सिद्ध एवं सोवा रिग्पा पाठ्यक्रमों के लिए नीट के जरिये दाखिला लेने की प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने छह उम्मीदवारों की याचिका पर केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी और अन्य  पक्षकारों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि वह इसके साथ-साथ एलोपैथिक चिकित्सकों द्वारा दायर उस याचिका पर भी सुनवाई करेंगे जिसमें आयुष चिकित्सकों को कुछ सर्जरी करने की अनुमति को चुनौती दी गई है। इस मामले में अगली सुनवाई 30 मार्च को होगी।

पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, 'एक तरफ आप कह रहे हैं कि आप प्रतिस्पर्धी हैं, लेकिन जब नीट में शामिल होने के लिए कहा गया तो आप कह रहे हैं कि हम प्रतिस्पर्धी नहीं हैं।' पीठ ने आगे कहा, 'आयुष चिकित्सक एक तरफ तो ऑपरेशन करना चाहते हैं, दूसरी तरफ कह रहे हैं कि हम अलग हैं, दोहरा रवैया देखिए, हम दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई करेंगे।
     
इसके बाद याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता 'नीट' के खिलाफ नहीं थे। अदालत में केंद्र सरकार की वकील मोनिका अरोड़ा भी मौजूद थीं, जिन्हें अदालत ने एलोपैथिक चिकित्सकों की याचिका का ब्यौरा प्रदान करने के लिए कहा था। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग अधिनियम, 2020 और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम, 2020 के तहत संचालित मेडिकल संस्थाओं के आयुष कोर्स में दाखिला लेने के लिए उन्हें नीट परीक्षा में बैठने के लिए कहना संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है।  याचिका में कहा गया है, 'नीट का गठन एनएमसी अधिनियम के तहत किया गया है इसलिए यह केवल उन्हीं मेडिकल संस्थाओं पर लागू होता है जो आधुनिक वैज्ञानिक आयुर्विज्ञान में डिग्री, डिप्लोमा या लाइसेंस देते हैं। ये संस्थाएं आयुर्वेद, सिद्ध या होम्योपैथी में डिग्री, डिप्लोमा या लाइसेंस देने वाली संस्थाओं से भिन्न हैं।'
      
याचिका के मुताबिक एमबीबीएस-बीडीएस के साथ-साथ आयुष पाठ्यक्रमों के लिए एक सामान्य नीट परीक्षा को अधिसूचित करने के दौरान इस महत्वपूर्ण तथ्य को नजरअंदाज कर दिया गया कि दोनों पाठ्यक्रम अलग-अलग क्षेत्रों में संचालित होते हैं और दोनों पाठ्यक्रमों के ढांचे में मूलभूत अंतर हैं। याचिका में दावा किया गया है कि नीट की रूपरेखा तैयार करते समय आयुष पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए जरूरी पात्रता मानदंड को ध्यान में नहीं रखा गया।

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