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हाईकोर्ट ने 138 कॉलेजों की बिहार बोर्ड इंटर कक्षा में दाखिले से रोक हटाई

पटना

बोर्ड की ओर से कोर्ट को बताया गया कि छात्रों को बेहतर संसाधन वाले कॉलेजों में शिक्षा मिले, इसके लिये सरकार यह सब कर रही है। राज्य में कई ऐसे इंटरमीडिएट कॉलेज हैं, जिनके पास कुछ नहीं हैं। कोर्ट ने बोर्ड की ओर से दी गई हर दलील को नामंजूर करते हुए बोर्ड की धारा 19 के तहत कॉलेजों को निरीक्षण करने की छूट देते हुए बोर्ड की ओर से जारी निर्देशों को निरस्त कर दिया।

ओएफएसएस पर शामिल होगा कॉलेजों का नाम
महासंघ के महासचिव गणेश प्रसाद सिंह ने बताया कि बिहार बोर्ड द्वारा 599 इंटर कॉलेजों को संबद्धता लेने का निर्देश दिया था। इसमें से 138 कॉलेजों का नाम ओएफएसएस पोर्टल पर से हटा दिया गया था। हाईकोर्ट के फैसले के बाद ऐसे कॉलेजों को फायदा होगा। पटना, विधि संवाददाता। पटना हाईकोर्ट ने बिहार बोर्ड के उन निर्देशों को निरस्त कर दिया है, जिसमें सभी इंटर कॉलेजों तथा इंटर की पढ़ाई कराने वाले संबद्धता प्राप्त डिग्री कॉलेजों को संबद्धता लेने के लिए निरीक्षण शुल्क जमा करने तथा अन्य कार्रवाई करने को कहा गया था। साथ ही इंटर सत्र 2022 में नामांकन के लिए इन कॉलेजों के नाम ओएफएसएस पोर्टल पर शामिल करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य के 138 इंटर कॉलेजों को फायदा होगा। न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय सेवा संघ एवं अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। दरअसल, बिहार बोर्ड ने दूसरी बार संबद्धता के लिए निर्धारित समय पर आवेदन नहीं करने के कारण इन कॉलेजों के नाम ओएफएसएस पोर्टल से हटा दिए थे। इसके बाद बिहार इंटरमीडिएट शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ द्वारा हाईकोर्ट में केस किया गया था। संबद्ध डिग्री महाविद्यालय सेवा संघ के साथ ही कई कॉलेजों ने भी याचिका दायर की थी।

आवेदकों की ओर से सीनियर एडवोकेट पीके शाही तथा अधिवक्ता शशि भूषण सिंह ने कोर्ट को बताया कि राज्य में सरकारी सहायता प्राप्त 599 इंटरमीडिएट कॉलेजों को फिर से संबद्धता देने के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 4 जुलाई 2020 को एक मेमो जारी किया था। उनका कहना था कि पूर्व में इंटरमीडिएट काउंसिल एक्ट के क्लाउज 39(2) के तहत सभी इंटरमीडिएट कॉलेजों की जांच रिपोर्ट के बाद इंटरमीडिएट कॉलेजों को संबद्धता दी गई थी। जिस पर राज्य सरकार ने भी अपनी सहमति दी थी। यही नहीं, सरकार सभी संबद्धता प्राप्त इंटरमीडिएट कॉलेजों को सरकारी सहायता दे रही थी। 2013 में छात्रों के परफॉर्मेंस के आधार पर सरकारी फंड दिया जाने लगा लेकिन एकाएक बोर्ड ने इन कॉलेजों को फिर से संबद्धता लेने के लिए एक निर्देश जारी कर दिया। साथ ही संबद्धता लेने के लिए निरीक्षण फीस जमा करने का निर्देश दिया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि जिन कॉलेजों ने फिर से संबद्धता लेने के लिए निरीक्षण फीस जमा नहीं की, वहां इंटरमीडिएट में नामांकन लेने के लिए एक भी छात्र को नहीं भेजा जा रहा है। जिस कारण इंटरमीडिएट कॉलेज बंद होने की कगार पर हैं। उनका कहना था कि जब सरकार ने संबद्धता दी है तो फिर बार-बार क्यों संबद्धता ली जाय।

 

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