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MBBS : नई इंटर्नशिप नियमों से निखारे जाएंगे मेडिकल छात्र, जानें कैसे मिलेंगे डिग्री और डॉक्टरी का लाइसेंस

 नई दिल्ली

मेडिकल पढ़ाई की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने मेडिकल इंटर्नशिप का व्यापक स्वरूप तैयार किया है, जिसे इसी सत्र से लागू किया जाएगा। नए नियमों में जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रहकर प्रशिक्षण पर ज्यादा जोर दिया गया है, वहीं यह कोशिश की गई है कि इंटर्नशिप करने के बाद डॉक्टरी शुरू करने वाले नए चिकित्सक सभी प्रकार की सामान्य स्वास्थ्य देखभाल करने व आपात स्थितियों को संभालने में सक्षम हों।

एनएमसी ने अनिवार्य आवर्ती आयुर्विज्ञान इंटर्नशिप (सीआरएमआई) विनियावली 2021 की अधिसूचना जारी कर दी है और इन्हें अधिसूचना की तारीख से प्रभावी माना गया है। इसलिए अब जो भी अगला इंटर्नशिप चक्र आएगा, उस पर यह लागू होगा। इंटर्नशिप के बाद ही छात्रों को डिग्री मिलेगी और स्थाई पंजीकरण प्रदान किया जाएगा। देश में पढ़ने और विदेशों से पढ़कर आने वाले सभी छात्रों को इसे पूरा करना होगा। ऐसे छात्रों की सालाना संख्या एक लाख से भी ज्यादा है।

नियमों में आएगी समानता
इंटरर्नशिप के नए नियमों पर प्रोफेसर जुगल किशोर ने कहा, इससे देश भर में इंटर्नशिप नियमों में समानता आएगी क्योंकि अभी हर राज्य में थोड़ा अंतर मिल जाता है। यह अच्छा कदम है। लेकिन साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में छात्रों की तैनाती के लिए आवासी सुविधाएं भी उपलब्ध हों।

अनिवार्य इंटर्नशिप
– छात्रों को तीन महीने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रहकर प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा।
– इस दौरान तीन-तीन सप्ताह के लिए जनरल मेडिसिन व जनरल सर्जरी, तीन सप्ताह प्रसूति व स्त्री रोग विज्ञान और तीन सप्ताह कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में कार्य करना होगा।
– विकीरण निदान, प्रयोगशाला औषधि या वृद्धावस्था चिकित्सा जैसे विषयों में विशेषज्ञता का प्रशिक्षण लेना होगा।
– एक सप्ताह भारतीय चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योमैथी में से किसी एक का भी व्यवहारिक ज्ञान हासिल करना होगा।
– मौजूदा व्यवस्था : अभी कम्युनिटी मेडिसिन में दो महीने छात्रों को प्रशिक्षण लेना होता है लेकिन केंद्रों में रहने की अनिवार्यता नहीं है, अलबत्ता वहां जाना जरूर पड़ता है।

जनरल मेडिसिन
– नए कार्यक्रम के अनुसार छात्रों को छह सप्ताह यानी डेढ़ महीने जनरल मेडिसिन विभाग में कार्य करना होगा। इस दौरान उन्हें वाह्य रोगी विभाग और अंतरंग रोगी विभाग में तैनात रहना होगा और वहां की कार्यप्रणाली को समझना होगा। आईसीयू और एचडीयू इकाइयों में भी उनकी तैनाती होगी।
– मौजूदा व्यवस्था : जनरल मेडिसन में दो महीने की तैनाती है, जिसमें 15 दिन मनोरोग विभाग में तैनाती के भी शामिल हैं।

मनोरोग विभाग
– दो सप्ताह का प्रशिक्षण लेना होगा। जिसमें ओपीडी में आने वाले मरीजों की जांच और आपात स्थिति में निपटने का प्रशिक्षण शामिल है।
– मौजूदा व्यवस्था : जनरल मेडिसिन के साथ ही 15 दिन का प्रशिक्षण शामिल है।

बाल रोग विभाग
– तीन सप्ताह बाल रोग विभाग में कार्य करना होगा। जिसमें ओपीडी, आईपीडी से लेकर नव प्रसव देखभाल और आईसीयू, एचडीयू यूनिटों में तैनाती शामिल है।
– मौजूदा व्यवस्था : बाल रोग विभाग में 30 दिन कार्य करना जरूरी है।

जनरल सर्जरी
– छह सप्ताह कार्य करना होगा। मुख्य रूप से छोटे एवं बड़े आपरेशन थियेटरों में तैनाती होगी तथा ओपीडी, आईपीडी, आईसीयू, एचडीयू मरीजों की देखभाल करनी होगी।
– मौजूदा व्यवस्था : जनरल सर्जरी में दो महीने की तैनाती होनी चाहिए जिसमें 15 एनेथेसिया विभाग में कार्य करना होता है।

एनेथेसिया एवं क्रिटिकल केयर
– दो सप्ताह का प्रशिक्षण लेना होगा। आपरेशन थियेटर, सघन देखभाल इकाइयों, आधारभूत जीवनरक्षक, दर्द निवारक केंद्रों में तैनाती होगी।
– मौजूदा व्यवस्था : 15 दिन का प्रशिक्षण जनरल सर्जरी में ही शामिल है।

परिवार कल्याण, परिवार नियोजन एवं प्रसूति रोग
– सात सप्ताह की इंटर्नशिप अवधि निर्धारित। प्रसव विभाग में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
– मौजूदा व्यवस्था : फैमिली प्लानिंग में दो महीने का प्रशिक्षण लेना होता है।

भौतिक मेडिसिन, पुनर्वास एवं अस्थि रोग
– दो सप्ताह का प्रशिक्षण लेना होगा।
– मौजूदा व्यवस्था : अस्थि रोग के लिए 30 दिन का प्रावधान है। भौतिक मेडिसिन एवं पुनर्वास को जोड़कर उसे व्यापक रूप दिया गया है।

इमरजेंसी/कैजुल्टी
दो सप्ताह की ट्रेनिंग लेनी होगी। मौजूदा व्यवस्था में अलग से प्रशिक्षण अविध तय नहीं है।

फारेंसिक मेडिसिन एंड पैथोलॉजी
– एक सप्ताह का प्रशिक्षण। शव परीक्षण भी शामिल।
– मौजूदा व्यवस्था : अभी 15 दिन की इलेक्टिव पोस्टिग के दौरान कई अन्य के साथ फारेंसिक मेडसिन के बारे में बताया जाता है।

त्वचा रोग/ यौन रोग/ कुष्ठ रोग
एक सप्ताह की ट्रेनिंग होगी। मौजूदा व्यवस्था में अभी इस प्रकार की ट्रेनिंग इलेक्टिव पोस्टिंग के दौरान होती है।

ईएनटी
– दो सप्ताह
– अभी : 30 दिन

नेत्र रोग
– दो सप्ताह
– अभी : 30 दिन

दो वैकल्पिक प्रशिक्षण
इनमें एक दो से चार सप्ताह का एक व्यापक विशेषज्ञता समूह का प्रशिक्षण होगा जिसमें छात्रों को विकिरण निदान, प्रयोगशाला औषधि या जिरायु मेडिसिन में से कोई एक विषय चुनना होगा। इसी प्रकार दूसरा वैकल्पिक प्रशिक्षण एक सप्ताह का होगा जिसमें भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के बारे में बताया जाएगा। इनमें आयुर्वेद, योग, सिद्ध, होम्योपैथी, यूनानी तथा सोवा रिगपा में से कोई एक पैथी चुननी होगी।

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