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UPPSC PCS : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के गले की फांस न बन जाए पीसीएस की स्केलिंग

 प्रयागराज

पीसीएस 2018 की मुख्य परीक्षा में स्केलिंग लागू किए बगैर परिणाम घोषित करने का मामला उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के लिए गले की फांस बन सकता है। मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी होने के बाद से ही छात्र स्केलिंग नहीं किए जाने पर मुखर थे।
अब आयोग स्वीकार कर रहा है कि 26 फरवरी 2020 की विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ विषयों में अभ्यर्थियों को मिलने वाले अंकों में अंतर इतना अधिक नहीं था कि स्केलिंग लागू करने की आवश्यकता पड़े।

पिछले साल जनवरी में आयोग की ओर से जारी पीसीएस 2018 की मार्कशीट में स्केल्ड या नॉन स्केल्ड अंकों का उल्लेख न होने पर भी छात्रों ने सवाल उठाए थे। स्केलिंग के बाद मिलने वाले अंक अमूमन दशमलव में होते हैं, लेकिन पीसीएस 2018 में किसी भी अभ्यर्थी को दशमलव में अंक नहीं मिले थे। सभी को मिले अंक पूर्णांक में थे। जिसके बाद छात्रों ने आपत्ति दर्ज कराई। कुछ अभ्यर्थियों ने सूचना का अधिकार कानून के तहत सूचनाएं मांगी तो आयोग ने देने से इनकार कर दिया। छात्रों का दावा है कि पीसीएस-2018 की मुख्य परीक्षा में स्केलिंग की व्यवस्था लागू न होने से मानविकी व हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को नुकसान पहुंचा है।

आयोग पीसीएस-2016 तक मार्कशीट में स्केल्ड एवं नॉनस्केल्ड अंकों का उल्लेख करता था। नॉन स्केल्ड यानी मूल्यांकन के दौरान अभ्यर्थियों को मिले वास्तविक अंक और स्केल्ड यानी स्केलिंग के बाद घटाए या बढ़ाए गए अंक। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि आयोग लगातार हिन्दी पट्टी के छात्रों के साथ नाइंसाफी कर रहा है। गोपनीयता के नाम पर सूचनाएं न देकर मनमानी कर रहा है।

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