ग्वालियरमध्य प्रदेश

भगवान के नाम ग्वालियर जिले में 4290 हैक्टेयर जमीन

ग्वालियर
जिले में 4290 हैक्टेयर जमीन के मालिक भगवान है। यह जमीन जिले के 428 गांवों में मौजूद 865 धर्मस्थलों के नाम पर माफी-औकाफ विभाग में दर्ज है। इन जमीनों पर कहीं पुजारी तो कहीं मंदिर की समितियां काबिज है। भगवान के नाम इन बेशकीमती जमीनों से हर साल करोड़ों की इनकम होना भी सामान्य है, लेकिन यही इनकम और जमीन दोनों लापता हैं। दरअसल जमीन पर कबिज मंदिर की समितियों या पुजारियों द्वारा प्रशासन को अब तक कोई हिसाब नहीं दिया गया है। इसी कारण माफी औकाफ विभाग के पास मंदिरोंं से होने वाली आय के संबध में कोई लेखा जोखा नहीं है। जबकि 865 धर्मस्थलों के नाम पर दर्ज इस भूमि में से कई जमीनें खुर्द-बुर्द कर दी गई है।  रियासतकाल में दी गई इन जमीनों को पुजारियों के भरण पोषण और मंदिरों की दशा सुधारने के लिए दिया गया था।

शहर की जमीन गायब, गांव की जमीन का हिसाब नहीं
वर्तमान मेंं ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर मंदिरों की जमीनों का हिसाब ही नहीं है। जबकि शहरी क्षेत्र में इन जमीनों को भूमाफिया से मिलकर बेच दिया गया है। जो जमीन बची है, उसको भी ठिकाने लगाने की कोशिशें जारी हैं।  नगर निगम क्षेत्र में नोगांव,नयागांव, अजयपुर, जड़ेरुआकलां, पुरानी छावनी, शंकरपुर, जगनापुरा, गौसपुरा, बहोड़ापुर, कोटा लश्कर, महलगांव, केदारपुर, सिरोल और मुरार में माफी औकाफ की भूमि है। हैरानी की बात ये है कि इन जमीनों के हलकों में पदस्थ पटवारी और आरआई वास्तविक रिकॉर्ड देने में आनाकानी करते रहे। नतीजतन वर्ष 2015 से शुरू हुई इन जमीनों की जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है।

10 साल पहले खुलासा, अब तक सिर्फ दो कार्रवाई  
माफी औकाफ विभाग में दर्ज मंदिर की जमीनों को खुर्द-बुर्द करने का खुलासा 10 साल पहले हुआ था। वर्ष 2009 में लगभग 1100 बीघा जमीन मुक्त कराई गई थी। इसके बाद वर्ष 2015 के दौरान मंदिर की कुछ जमीनों को मुक्त कराया गया था। जबकि इसके बाद से अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं जिन जमीनों को तत्कालीन समय में मुक्त कराया गया था, उन पर भी दोबारा से कब्जे हो गए हैं।  

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