नई गाइड लाइन आने के बाद डीजी स्तर के पदाधिकारी को दिया जाएगा पद
भोपाल
भ्रष्टाचार के मामलों पर लगाम कसने वाली जांच एजेंसियों के मुखिया का पद अब एडीजी स्तर के अफसर का पदस्थ रहना आसान नहीं होगा। नई गाइड लाइन के तहत इन दोनों एजेंसियों में डीजी स्तर के अफसर को ही कुछ अधिकारी दिए गए हैं, ऐसे में एडीजी की जगह पर डीजी पदस्थ करना जरुरी हो जाएगा। हालांकि अभी प्रदेश की एक एजेंसी में एडीजी रैंक के अफसर मुखिया हैं, जबकि दूसरी एजेंसी में डीजी रैंक के अफसर मुखिया हैं। केंद्र सरकार ने लोक सेवकों के पद के दुरुपयोग की जांच की अनुमति लेने के लिए डीजी रैंक के अफसर को ही अनुशंसा दिये जाने की गाइड लाइन जारी की है। इसके बाद अब कई राज्यों में ऐसी एजेंसियों के मुखिया का पद डीजी रैंक के अफसर को दिए जाने की तैयारी हो चुकी है। वहीं प्रदेश में ईओडब्ल्यू में एडीजी अजय कुमार शर्मा बतौर प्रभारी डीजी के रूप में पदस्थ हैं। वहीं लोकायुक्त में राजीव टंडन डीजी हैं। ऐसा भी माना जा रहा है कि कॉडर में इन दोनों पदों को डीजी स्तर का किया जा सकता है।
प्रदेश में फिलहाल नहीं आएगी परेशानी
प्रदेश में यदि ये दोनों अफसर पदस्थ रहे तो पद के दुरुपयोग की जांच की अनुमति लेने में कोई परेशानी नहीं आएगी। यदि प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किसी सीनियर अफसर की प्रदेश में वापसी नहीं हुई तो अजय कुमार शर्मा एक अप्रैल को डीजी के पद पर पदोन्नत हो सकते हैं। उनके पदोन्नत होते ही वे केंद्र सरकार की गाइड लाइन के तहत उच्च स्तर के लोक सेवक, विधायक, सांसद आदि के पद के दुरुपयोग की शिकायतों की जांच की अनुमति मांग सकते हैं। वहीं लोकायुक्त में यदि राजीव टंडन ही पदस्थ रहे तो यहां भी अनुमति लेने में कोई परेशानी संगठन की पुलिस को नहीं होगी।