भोपाल। जो दिग्विजय सिंह आज कभी गद्दार तो कभी खद्दार बोलकर आरोप लगा रहे है, उन दिग्विजय सिंह के परिवार का इतिहास गद्दारी से भरा हुआ है। उनके पूर्वजों ने हमेशा मुगलों और अंग्रेजों का साथ दिया। यह इतिहास में दर्ज है। यह सिर्फ आरोप नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह के पिता स्व. बलभद्र जी ने स्वयं पत्र लिखकर अंग्रेजों के प्रति उनके परिवार के समर्पण एवं देश के साथ गद्दारी के बदले विशेष सुविधाओं की मांग की थी। इसलिए दिग्विजय सिंह को असत्य, अनर्गल और आधारहीन आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है। दिग्विजय सिंह को कुछ बयानबाजी करने से पहले अपना इतिहास याद कर लेना चाहिए। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी एवं डॉ. दुर्गेश केसवानी ने प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही। प्रवक्ता श्री चतुर्वेदी और डॉ. केसवानी ने मीडिया के समक्ष 16 सितंबर 1939 को दिग्विजय सिंह के स्व. पिता श्री बलभद्रजी द्वारा लिखा गया पत्र की छायाप्रति भी बतायी।
जब देश आजादी की लडाई लड रहा था तब दिग्विजय सिंह के पिता की क्या भूमिका थी ?
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि दिग्विजय सिंह का पूरा पारिवारिक इतिहास मुगलों की वफादारी से भरा है। उनके पिता के पत्र से स्पष्ट होता है कि वे अंग्रेजों के प्रति स्वामी भक्ति, भारत को धोखा देना और गद्दारी करना दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह सभी प्रमाण हमारे पास है जो साबित करेंगे कि सतत रूप से राघौगढ़ के राजपरिवार ने मुगलों और अंग्रेजों का साथ दिया। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि दिग्विजय सिंह में साहस है तो उन्हें इन सभी बातों का उत्तर देना चाहिए। देश और प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि आपके परिजनों ने जो देश से गद्दारी की है उसके बदले आपको जो मिला उसे सार्वजनिक करें।
प्रदेश प्रवक्ता डॉ. केसवानी ने कहा कि कांग्रेस का मूल चरित्र आरोप लगाकर राजनीति करना है और इसी राजनीति पर दिग्विजय सिंह अपना राग अलापते है। डॉ. केसवानी ने कहा कि दिग्विजय सिंह की हकीकत उनके पार्टी के नेता ही ज्यादा जानते है और इसलिए तत्कालीन कमलनाथ सरकार के मंत्री उमंग सिंगार ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि प्रदेश को लूटने वाले शराब माफिया दिग्विजय सिंह है। राघौगढ में केन्द्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में 5 हजार से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ली। यह सब देखकर दिग्विजय सिंह तिलमिला उठे है।