भोपालमध्य प्रदेश

प्रशासनिक लापरवाही से बढ़ी लागत, सरकारी खजाने में करोड़ों की चपत

भोपाल
लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर विभिन्न कार्यो की ड्राइंग और डिजाइन के आधार पर योजनाओं के खर्चों का सही आंकलन नहीं कर पा रहे है। पांच जिलों में पीआईयू के अफसरों के गलत आंकलन के कारण इन परियोजनाओं की लागत दस प्रतिशत से भी अधिक बढ़ गई। इसके चलते सरकारी खजाने से सात करोड़ से अधिक राशि ज्यादा खर्च करना पड़ी। आॅडिट जांच में इसका खुलासा होने के बाद अब महानियंत्रक लेखा परीक्षक ने इस पर आपत्ति जताते हुए लोक निर्माण विभाग के अफसरों से स्पष्टीकरण मांगा है।

मध्यप्रदेश निर्माण कार्य विभाग संहिता के अनुसार एक प्राक्कलन की तकनीकी स्वीकृति देने वाला एक अधिकारी डिजाइन की सुदृढ़ता का आंकलन करने और ड्राइंग के संदर्भ में प्राक्कलन में आवश्यक सभी मदों को शामिल करने के लिए जिम्मेदार है। विस्तृत प्राक्कलनों की शुद्धता प्राक्कलित और वास्तव में क्रियान्वित परिणाम के बीच नाममात्र के विचलन की सीमा से मापी जाती है। लेकिन यह अंतर अधिक होना बताता है कि प्राक्कलन सही नहीं बनाये गए है।

आॅडिट जांच में जिन चिन्हित बारह पीआईयू कामों की जांच की गई उनमें बड़वानी, जबलपुर, झाबुआ, सीधी और शिवपुरी जिलों में चयनित पांच पीआईयू के सात कार्यों में प्राक्कलित और क्रियान्वित  परिणामों में दस प्रतिशत से अधिक अंतर निकला है। बड़ी मात्रा में अतिरिक्त मदों के क्रियान्वयन किए गए जो प्राक्कलित और बिल आॅफ क्वांटिटी का हिस्सा नहीं थे। महानियंत्रक लेखा परीक्षक ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि प्राक्कलन ठीक से तैयार नहीं किए गए थे इसके चलते शासन को 7 करोड़ 4 लाख रुपए अतिरिक्त खर्च करना पड़ा। इसको लेकर लोक निर्माण विभाग के आला अफसरों को आपत्ति जताते हुए उनसे जवाब मांगा गया तो विभाग ने जवाब दिया कि  सिविल कार्यों में निर्माण के दौरान अतिरिक्त काम होते है।

यह अप्रत्याशित कार्यस्थल की स्थिति और  उपयोगकर्ता एजेंसी की आवश्यकता के कारण है। निर्माण के दौरान सिविल कार्यों में भिन्नता हो सकती है। विभाग ने आश्वासन दिया कि प्राक्कलन तैयार करने में अब और अधिक सावधानी बरती जाएगी। महानियंत्रक  ने विभाग के इस जवाब को उपयुक्त नहीं माना कि सिविल कार्यों में भिन्नता हो सकती है। महानियंत्रक का तर्क है कि इन कामों में आंकलित लागत और खर्च में काफी अधिक अंतर है यह बताता है कि पीआईयू के भीतर प्रक्रियाओं के यथोचित उद्यमता में दृढ़ता की कमी परिलक्षित करता है।

ऐसे हुआ ज्यादा खर्च
पीआईयू की बड़वानी यूनिट में कुल 59 कामों में निविदा से 56 लाख 18 हजार 973 रुपए ज्यादा खर्च किए गए। 65 कामों में 59 लाख 96 हजार 123 रुपए ज्यादा खर्च हुए। जबलपुर में दो कामों में एक करोड़ 7 लाख 96 हजार रुपए ज्यादा खर्च हुए। झाबुआ में 5 लाख 51 हजार  983 और सीधी में पांच कामों में 31 लाख 61 हजार 162 रुपए, दो कामों में 59 हजार 856 रुपए और शिवपुरी में 27 कामों में 3 करोड़ 90 लाख 72 हजार 962 रुपए अतिरिक्त खर्च हुए।  इन सभी में निविदा का प्रतिशत खर्च जोंड़ने के बाद 7 करोड़ 4 लाख 46 हजार 774 रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़े।

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