देवगुरु बृहस्पति होंगे अस्त, 23 फरवरी से 16 अप्रैल तक 53 दिन शहनाई नहीं बजेगी
इंदौर
कोरोना से राहत मिलने के बाद भले ही पूरी क्षमता के साथ वैवाहिक आयोजन करने की अनुमति जिला प्रशासन से मिल गई हो लेकिन एक बार फिर 53 दिन शहनाई नहीं बजेगी। ऐसा देवगुरु बृहस्पति के अस्त होने के साथ होलाष्टक और सूर्य के मीन राशि में आने से मीन का मलमास लगने की वजह से होगा।विवाह के पहले सीजन के अंतिम तीन मूहूर्त अब 18,21 और 22 फरवरी के शेष है। इसके बाद 23 फरवरी से 16 अप्रैल तक 53 दिन शहनाई नहीं बजेगी।
बृहस्पति 23 फरवरी से 20 मार्च तक गुरु अस्त रहेंगे।इसके बीच आठ दिनी होलाष्टक 10 मार्च से और मीन का मलमास लगने से 14 मार्च से 14 अप्रैल तक विवाह नहीं होंगे।इसके चलते विवाह के दूसरे सीजन का विवाह का पहला मुहूर्त 17 अप्रैल को होगा। अप्रैल में छह, मई 13,जून में 10 और जुलाई में चार मुहूर्त होंगे। इसके बाद 10 जुलाई से चातुर्मास की शुरुआत होगी।
इसके चलते मांगलिक कार्यों पर फिर चार माह के लिए विराम लग जाएगा। बृहस्पति को संपन्नता, विवाह, वैभव, विवेक व धार्मिक कार्य का कारक ग्रह माना जाता है।इस कारण गुरु ग्रह के अस्त होने पर मांगलिक कार्यों की मनाही है।इस दौरान मुंडन, नामकरण जैसे संस्कार नहीं किए जाते हैं।बृहस्पति अस्त होने के दौरान अबूझ मुहूर्त में से एक फुलेरा दूज 4 मार्च होगी। इस मौके पर मत-मतांतर के साथ विवाह होंगे। मान्यता है कि इस दिन शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती है।