“नज़रिया लागे नहिं कहीं और….”
भोपाल
बारिश का संगीत से भी खुशनुमा रिश्ता है। आसमान से झर रहीं बारिश की बूँदों के बीच उदयीमान ख्याल गायिका सुश्री तृप्ति कुलकर्णी ने अपनी स्वर लहरियों का आकषर्ण बिखेरा। तानसेन समारोह में मंगलवार की प्रातःकालीन सभा में इंदौर से पधारीं तृप्ति कुलकर्णी की दूसरे कलाकार के रूप में प्रस्तुति हुई।
मधुर एवं बुलंद आवाज की धनी सुश्री तृप्ति ने अपने गायन के लिए शुद्ध धैवत और मारवा ठाठ का राग " विभास" चुना। उन्होंने रूपक में बड़ा ख्याल "हो श्याम.." और इसके बाद एक ताल मध्यलय में छोटा ख्याल "पिया रैन जागे.." प्रस्तुत कर समा बांध दिया। तृप्ति कुलकर्णी ने जब प्रसिद्ध दादरा "नज़रिया लागे नहिं कहीं और …" का सुमधुर गायन किया तो रसिक प्रेम रस से सराबोर हो गए। ख्याल गायकी की मोहक स्वर लहिरियों के साथ राग में आलापचारी को खास अंदाज में पेश कर उन्होंने श्रोताओं के दिलों को गहराई तक छूने का सफल प्रयास किया। राग की शुद्धता, सुरीली तानें और लयकारी से उन्होंने साबित किया कि उनमें भविष्य की उत्कृष्ट गायिका बनने की सारी खूबियाँ विद्यमान हैं।
उनके गायन में तबले पर श्री गांधार राजहंस व हारमोनियम पर श्री विवेक जैन ने शानदार संगत की। तानपूरे पर सुश्री कल्याणी व सुश्री अंकिता ने अच्छा साथ निभाया।