भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा एक मामले में मध्यप्रदेश मेडिकल सांइस यूनिवर्सिटी, जबलपुर की एक्जाम कन्ट्रोलर डॉ. वृन्दा सक्सेना को आयोग में व्यक्तिशः आकर अपना स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया था। आयोग द्वारा डॉ. वृन्दा को कारण बताओ नोटिस एवं पांच हजार रूपए का जमानती गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था। प्रकरण क्र. 7452/ भोपाल/2019 में कई स्मरण पत्र एवं नामजद स्मरण पत्र देने के बावजूद प्रतिवेदन न देने के कारण डॉ. वृन्दा को आयोग में उपस्थित होने को कहा गया था। आयोग के आदेश पर एग्जाम कंट्रोलर डॉ. वृन्दा 8 दिसम्बर को आयोग के समक्ष उपस्थित हुईं और शो-कॉज नोटिस का जवाब एवं प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। आयोग ने डॉ. वृन्दा द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन पर आवेदिका डॉ. नेहा राठौर से प्रतिक्रिया मांगी है। अब आवेदिका की प्रतिक्रिया मिलने के पश्चात् आगे की कार्रवाई की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2022 को होगी।
उल्लेखनीय है कि भोपाल के राजीव गांधी आयुर्वेद कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नेहा राठौर ने एक नवम्बर 2019 को प्राचार्य, राजीव गांधी आयुर्वेद कालेज, भोपाल के विरूद्ध शिकायत की थी कि कालेज में कार्यरत रहने के दौरान प्राचार्य के निर्देशन में मुख्य प्रायोगिक परीक्षा में आवेदिका के जाली हस्ताक्षर कर मूल अंकों से छेड़छाड़ की गई थी। आवेदिका ने इस संबंध में थाना प्रभारी शाहपुरा को भी सूचित किया था, परन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। आवेदिका ने आयोग से समुचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। शिकायत मिलने पर आयोग ने एक्जाम कन्ट्रोलर, मध्यप्रदेश मेडिकल साईंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर को पांच स्मरण पत्र भेजे, परन्तु प्रतिवेदन नहीं मिला। तत्पश्चात डॉ. वृन्दा सक्सेना को दो स्मरण पत्र नामजद भेजे गए और आयोग में उपस्थित होने को कहा गया, परंतु उन्होंने न तो प्रतिवेदन दिया और न ही वे आयोग के समक्ष उपस्थित हुईं थीं। इस पर आयोग ने डॉ वृन्दा को आयोग में उपस्थित न होने के कारण 22 सितम्बर 2021 को पांच हजार रूपए से अधिक का जुर्माना लगाने संबंधी नामजद कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें आयोग में व्यक्तिशः आकर जवाब देने को कहा गया था। साथ ही पांच हजार रूपए का नामजद जमानती गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया था। इसी संदर्भ में डॉ. वृन्दा सक्सेना आयोग में उपस्थित हुईं थीं।