भोपालमध्य प्रदेश

पर्यावरण शुद्धि में वन फेफड़े, तो वेटलैंड किडनी का काम करते हैं : पर्यावरण मंत्री डंग

भोपाल

पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने कहा है कि जंगल यदि ऑक्सीजन देकर वातावरण को शुद्ध बनाते हैं, तो नदी, तालाब, पोखर आदि वेटलैंड पर्यावरण के लिये किडनी का काम करते हैं। वेटलैंड बरसात, बाढ़ आदि के पानी में मौजूद खतरनाक रसायनों और पदार्थों को फिल्टर कर उसे प्राणियों के पीने योग्य बनाते हैं। तालाब, वन से कहीं अधिक कार्बन का अवशोषण करते हैं। मध्यप्रदेश का भोज वेटलैंड रामसर साइट में शामिल है। केन्द्र शासन को 3 नये रामसर साइट का प्रस्ताव भेजा गया है।

डंग ने यह बात आज एप्को में विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर पर आयोजित 'वेटलैंड संरक्षण की चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ' विषय पर केन्द्रित संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कही। एप्को के कार्यपालन निदेशक श्रीमन शुक्ला और राज्य वेटलैंड प्राधिकरण के सदस्य अभिलाष खांडेकर भी मौजूद थे।

डंग ने एप्को के अधिकारी-कर्मचारियों से कहा कि केवल कार्यालय में बैठकर ही काम न करें। प्रदेश में 15 हजार 152 तालाब हैं, जिनके संरक्षण में व्यवहारिक रूप से भी कार्य करें। संरक्षण कार्य में अधिक से अधिक लोगों को भी प्रेरित किया जाए। अपनी दिनचर्या में से भारत माता के लिये 1-2 घंटे निकालना भी देश की सच्ची सेवा होगी। उन्होंने वेटलैंड प्राधिकरण की बैठक एक वर्ष के स्थान पर हर 3 माह में करने के निर्देश दिये।

पूर्व सरपंच का सम्मान

मंत्री डंग ने संगोष्ठी में भाग लेने आये विदिशा जिले के कोल्हार गाँव के पूर्व सरपंच देवेन्द्र मोहन शर्मा को एप्को प्रशासन और जन-सहयोग से 50 तालाब निर्माण करने पर सम्मानित किया। शर्मा ने संगोष्ठी में अपनी सफलता और अनुभवों को साझा किया।

भोज वेटलैंड में मिल रहे हैं दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षी

संगोष्ठी में भाग लेने आये पक्षी विशेषज्ञ मोहम्मद खलीक और श्रीमती संगीता राजगीर ने बताया कि भोज वेटलैंड में 45 दिन से 8 चरण में 250 स्वयं-सेवकों की मदद से पक्षी गणना का काम किया जा रहा है। यह कार्य कल वेटलैंड दिवस पर समाप्त हो जाएगा। इस वर्ष भोपाल तालाब में 5 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर आये दुर्लभ प्रजाति के पक्षी भी मिले हैं।

330 सारस के जोड़े हैं भोज वेटलैंड में

खलीक ने बताया कि कुछ वर्ष पहले भोज वेटलैंड में सारस के मात्र 3 जोड़े बचे थे। वन अधिकारी और गाँव वालों के सहयोग से उनकी संस्था द्वारा लगातार किये जा रहे संरक्षण कार्य से आज इन जोड़ों की संख्या 330 हो गई है। इसमें 10 गाँवों के ग्रामीण अत्यधिक सहयोग दे रहे हैं। इन गाँवों में "सारस चौपाल" लगाकर इनको बचाने के उपाय और रणनीति पर चर्चा कर क्रियान्वयन किया जाता है।

कार्यक्रम का संचालन प्रभारी अधिकारी राज्य वेटलैंड प्राधिकरण लोकेन्द्र ठक्कर ने किया।

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