भोपालमध्य प्रदेश

सरकार ने 18 माह में लिया सर्वाधिक कर्ज, सीएम ने लिखा पीएम और वित्त मंत्री को पत्र

भोपाल
शिवराज सरकार ने चालू वित्त वर्ष में जुलाई से नवम्बर तक 14 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। कर्ज की यह राशि 2031 से 2041 तक की अवधि के लिए 5.99 से 7 प्रतिशत ब्याज की दर पर ली गई गई है। कर्ज की राशि 14 जुलाई, एक सितम्बर, 15 सितम्बर, 22 सितम्बर, 27 अक्टूबर, 2 नवम्बर और 17 नवम्बर को ली गई है। सबसे अधिक 6 हजार करोड़Þ का कर्ज तीन बार सितम्बर माह में लिया गया है। यह जानकारी विधानसभा में विधायक बाला बच्चन के सवाल के लिखित जवाब में दी गई है।

वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा इस जवाब में यह भी बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वित्तीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए 2021-22 के लिए भी गत वित्त वर्ष के अनुसार सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 5.50 प्रतिशत ऋण लेने की स्वीकृति के संबंध में पत्र लिखा था। इसके साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी जुलाई में इसको लेकर पत्र लिखा गया था जिसमें कहा गया कि 2021-22 के लिए जीएसडीपी के मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों की ऋण सीमा 4 प्रतिशत तय की गई थी। इसके लिए राज्य की पात्रता 4.5 प्रतिशत तक ऋण लेने की है। इसमें यह भी बताया गया था कि पूंजीगत व्यय के लिए 2020-21 में विशेष सहायता राशि 1320 करोड़ रुपए राज्यों को जारी किए गए थे जबकि एमपी को 649 करोड़ आवंटित हुए। इसकी भरपाई करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया था।

वित्त मंत्री देवड़ा ने विधायक जीतू पटवारी के इसी से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि मध्यप्रदेश के वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंतिम लेखे प्राप्त नहीं हुए हैं। बजट साहित्य 2021-22 में प्रकाशित वित्तीय वर्ष 2020-21 के पुनरीक्षित अनुमान अनुसार मार्च 2021 की समाप्ति पर 253335.60 करोड़ रुपए का कर्ज रहने का अनुमान है। राज्य शासन द्वारा मप्र राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों के अंतर्गत ही प्रदेश की विकासात्मक गतिविधियों के लिए नियमानुसार ऋण लेने के कारण पिछले 18 माह में कर्ज में वृद्वि हुई है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान के अनुसार 147635572000 ऋणों के भुगतान के लिए प्रावधान किया गया है तथा 164602146000 ब्याज के भुगतान के लिए प्रावधान किया गया है।

प्रश्नोत्तर काल के दौरान समय बचाने और अधिक से अधिक विधायकों के सवाल पर चर्चा कराने के लिए नई व्यवस्था शुरू की गई है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि कई बार ऐसा देखने में आया है कि अनुपूरक प्रश्न पूछे जाने की जगह विधायक शासन का जवाब और अपना सवाल पढ़ लेते हैं। ऐसे में समय अधिक लगता है और कई विधायकों के सवाल जवाब चर्चा में नहीं आ पाते। इसलिए यह व्यवस्था शुरू की जा रही है ताकि अधिकतम लोगों की बातें सामने आ सकें।

विधानसभा अध्यक्ष गौतम ने सदन में मौजूद विधायकों को व्यवस्था की जानकारी देते हुए कहा कि प्रश्नोत्तरी में जो लिखा है उसे छोड़कर विधायक अपनी बात कहें। अपना लिखा हुआ प्रश्न और शासन का लिखा हुआ उत्तर न पढ़ें। जो अनुपूरक सवाल करना है, सीधे उस पर बात करेंगे तो व्यवस्था में सुधार आएगा और दूसरे विधायकों को भी सदन में अपनी बात कहने का मौका मिल सकेगा क्योंकि एक घंटे तक ही प्रश्नकाल होता है। आज से यह व्यवस्था शुरू की जा रही है।

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