सीहोर। सीहोर में स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (एनआईएमएचआर) के उप कुलसचिव मोहम्मद अशफाक द्वारा महाभारत के पात्र सहित द्रोपदी को मानसिक रोगी बताने के मामले कोे केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में एनआईएमएचआर के विद्यार्थियोें ने पीएमओे एवं केंद्रीय पुनर्वास मंत्री को शिकायत की थी। शिकायत के बाद केंद्र द्वारा जांच समिति बनाकर इस मामले की जांच कराई गई है। जांच के बिंदुओं के संबंध में दिल्ली की टीम ने सीहोर पहुंचकर उप कुलसचिव मोहम्मद अशफाक से बयान लिए हैैं। इधर मोहम्मद अशफाक का कहना है कि टीम ने उनसेे व्यक्तिगत चर्चा की है। ऐसा कोई मामला नहीं है।
जांच दल पहुंचा सीहोर, लिए बयान-
इस मामले में विद्यार्थियों की शिकायत के बाद पीएमओ द्वारा जांच के निर्देश दिए गए थेे। इसके बाद केंद्र द्वारा अधिकारियों को जांच के लिए भेजा गया है। जांच दल द्वारा सीहोर पहंुचकर उप कुलसचिव मोहम्मद अशफाक से पूछताछ की गई है। हालांकि इस मामले में मोहम्मद अशफाक का कहना है कि उनसे व्यक्तिगत चर्चाएं हुईं हैं। जांच जैसी कोई बात नहीं है। वे ये भी कह रहे हैं कि इस संबंध में चर्चा करने के लिए उनके पास अधिकार नहीं हैं। उच्च अधिकारियों से बात करने का हवाला देतेे हुए वे जांच केे संबंध में कुछ भी कहने को तैैयार नहीं हैं।
शिकायत में विद्यार्थियोें ने बताया था जेहादी अड्डा-
पीएमओ एवं केंद्रीय मंत्री को हुई शिकायत में यहां के विद्यार्थियों ने लिखा था कि उप कुलसचिव मोेहम्मद अशफाक इस संस्थान को मदरसे की स्टाइल में चला रहे हैं। प्रधानमंत्री इस पर ध्यान दें वरना यह केंद्र जेहादी अड्डा बन जाएगा। छात्रों ने शिकायत में यह भी लिखा था कि मोहम्मद अशफाक ने दिन की नमाजें ऑफिस में ही पढ़ना शुरू कर दिया। उस दौरान कोई उनके पास जा नहीं सकता। शिकायत में स्टूडेंट्स ने आशंका जताई थी कि तबलीगी हुलिया में ऑफिस आने वाले मोहम्मद अशफाक के ताल्लुक पीएफआई जैसे किसी संगठन या मुस्लिम जमात से हो सकते हैं। दरअसल छात्र-छात्राओं ने तीन पेज का यह शिकायत पत्र दिसंबर-2022 में प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा था। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक को भी यह पत्र भेजा गया है। इसमें एनआईएमएचआर के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक पर संस्थान को मनमाने तरीके से संचालित करने, कक्षा लेने, ऐतिहासिक हिंदू चरित्रों की विकलांगता के संदर्भ में गलत व्याख्या करने, छात्रों को करियर बर्बाद करने की धमकी देने जैसे आरोप लगाए गए हैं। हालांकि संस्थान के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई शिकायत के बारे में पहले से जानकारी होने से अनभिज्ञता प्रकट की। उन्होंने कहा कि जब टीम आई तब ही मुझे पता चला कि मेरे बारे में कोई शिकायत हुई है। हालांकि इस संबंध में मैं कुछ नहीं बता सकता।
मानसिक दबाव में हैं छात्र-छात्राएं-
शिकायत में यह भी कहा गया था कि मोहम्मद अशफाक आसपास के इलाकों के अपने समुदाय के लोगों को संस्थान के नाम पर अनुचित लाभ दिलाने का वादा भी करते हैं। अपने कथित इस्लामी तौर-तरीकों से संस्थान का माहौल किसी पागलखाने जैसा होने की बात भी छात्रों ने शिकायती पत्र में कही। ऐसे में छात्र-छात्राओं ने भारी मानसिक दबाव की बात भी कही थी।