हुकुमचंद मिल की जमीन की लीज निरस्ती के प्रस्ताव को हाई कोर्ट ने किया खारिज
इंदौर
हुकमचंद मिल की जमीन की लीज नगर निगम निरस्त नहीं कर सकता। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने नगर निगम परिषद के हुकुमचंद मिल की जमीन की लीज निरस्ती के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने माना कि जमीन का विवाद हाई कोर्ट में लंबित होने के दौरान निगम को लीज निरस्त करने का प्रस्ताव पारित नहीं करना था।
गौरतलब है कि हुकुमचंद मिल प्रबंधन ने दिसंबर 1991 में अचानक मिल बंद कर दी थी। इसके बाद से मिल के करीब छह हजार मजदूर अपने हक के लिए न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं। हाईकोर्ट सालों पहले मिल की जमीन बेच कर मजदूरों को भुगतान करने का आदेश दे चुका है, लेकिन जमीन बिक नहीं पा रही। इस वजह से मजदूरों को उनका भुगतान नहीं मिल पा रहा है। मामला फिलहाल हाई कोर्ट में लंबित है। इस बीच जनवरी 2020 में इंदौर नगर निगम के अंतिम परिषद सम्मेलन में मिल की जमीन की लीज निरस्त करने के संबंध में प्रस्ताव पारित कर दिया गया।
मजदूरों ने इसे चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में आवेदन दिया था। उनका कहना था कि मिल की जमीन बेच कर ही मजदूरों का भुगतान होना है। नगर निगम जमीन की लीज निरस्त कर देगा तो मजदूरों का भुगतान कैसे होगा। मामला हाई कोर्ट में लंबित होने के बावजूद नगर निगम लीज निरस्ती का प्रस्ताव पास किया है। उसे ऐसा करने का अधिकार ही नहीं था।
मजदूरों की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट धीरेंद्र सिंह पवार ने बताया कि सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने इस संबंध में आदेश सुरक्षित रख लिया था। हाई कोर्ट की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने मजदूरों का आवेदन स्वीकार कर लिया है। हालांकि अभी इस संबंध में विस्तृत आदेश जारी नहीं हुआ है।