इंदौरमध्य प्रदेश

डीएवीवी को उच्च शिक्षा विभाग ने दिया झटका, 22 में से सिर्फ सात विभागों को चुना

इंदौर
 प्रदेश के ए
कमात्र नैक ए प्लस ग्रेड प्राप्त संस्थान देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) की उम्मीदों को उच्च शिक्षा विभाग ने झटका दे दिया है। सेंटर फार एक्सीलेंस के लिए भेजे गए 22 विभागों के प्रोजेक्ट में से उच्च शिक्षा विभाग ने सिर्फ सात को चुना है। ये सभी नियमित पाठ्यक्रम संचालित करने वाले विभाग हैं। इनके प्रोजेक्ट को समिति के समक्ष मंजूरी के लिए भेज दिया है। अगले कुछ दिनों में इनको स्वीकृति मिल सकती है। बाकी 15 सेल्फ फाइनेंस विभाग के प्रोजेक्ट खारिज कर दिए हैं। इसके चलते विश्वविद्यालय को मिलने वाला अनुदान भी कम हो जाएगा। उधर, विश्वविद्यालय प्रशासन अपने विभागों की बिल्डिंग और शोध उपकरणों के लिए बजट का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

नैक की ग्रेड सुधारने और रैंकिंग बेहतर करने के लिए विश्वविद्यालय ने विभागों के विकास की रूपरेखा बनाई है। मार्च में 22 विभागों को सेंटर फार एक्सीलेंस का दर्जा दिलाने को लेकर प्रोजेक्ट बनाए थे। वर्ल्ड बैंक की तरफ से इसमें करीब 100 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी। अनुदान से भवन निर्माण-कायाकल्प और उपकरण खरीदे जाने थे। कुछ महीने पहले गैप एनालिसिस कमेटी की बैठक हुई। विश्वविद्यालय ने इंजीनियरिंग, विधि, ईएमआरसी, फिजिक्स, फिजिकल एजुकेशन, कंप्यूटर साइंस, कामर्स, केमिस्ट्री, पत्रकारिता, फिजिकल एजुकेशन सहित 22 विभागों के नए प्रोजेक्ट बनाए। सूत्रों के मुताबिक विद्यार्थियों के अनुपात के हिसाब से कई विभागों के पास अपना भवन नहीं है।

 

तीन से चार कमरों में विभाग चल रहे हैं। जबकि कुछ विभागों के भवन काफी जर्जर हो चुके हैं। इनकी मरम्मत की बहुत आवश्यकता है। विश्वविद्यालय ने प्रस्ताव के माध्यम से भवन निर्माण और कायाकल्प के लिए राशि मांगी है। प्रस्ताव उच्च शिक्षा विभाग को भेजे जा चुके हैं। मई में आनलाइन प्रेजेंटेशन शुरू हुए। विश्वविद्यालय से आए प्रोजेक्ट की स्क्रूटनी भी हुई। मगर बीच में वर्ल्ड बैंक से नए निर्देश आए। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने सिर्फ नियमित विभागों को एक्सीलेंस का दर्जा देना तय किया। इसके चलते देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सेल्फ फाइनेंस विभाग के प्रोजेक्ट खत्म हो गए।

 

15 करोड़ मिलने की उम्मीद

विश्वविद्यालय के सात नियमित विभागों को एक्सीलेंस का दर्जा अगले महीने तक मिल सकता है। फिजिक्स, एजुकेशन, केमिस्ट्री, गणित, लाइफ साइंस, इंस्ट्रूमेंटेशन, स्टेटिटिक्स विभाग शामिल हैं। बताया जाता है कि इन विभागों को मिलने वाला अनुदान करीब 15 करोड़ रुपये है। वैसे अभी तक विभाग ने अनुदान की राशि को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। प्रोजेक्ट प्रभारी डा. विजय बाबू गुप्ता का कहना है कि सेंटर फार एक्सीलेंस का दर्जा पाने वाले सिर्फ सात विभाग हैं। इनके संबंध में अभी पत्र मिलना बाकी है। वैसे सेल्फ फाइनेंस विभागों के प्रस्ताव खारिज कर दिए हैं।

सिर्फ दो विभाग के पास

2019 में आठ विभागों के लिए एक्सीलेंस के प्रस्ताव मांगे थे। बदले में विश्व बैंक की तरफ से 65 करोड़ मिलने थे। मगर देअवि के डाटा साइंस (1 करोड़ 4 लाख) और आइएमएस (78 लाख) के प्रस्ताव मंजूर हुए। भारी-भरकम बजट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे विश्वविद्यालय को दोनों प्रस्ताव के बदले दो करोड़ भी पूरी नहीं मिले। विश्वविद्यालय के आपत्ति जताने पर विभाग ने दोबारा प्रस्ताव मांगे, लेकिन अभी तक बैठक ही नहीं हुई। चौंकाने वाली बात यह है कि जिन दो विभागों को प्रस्ताव मंजूर हुए हैं उनका पैसा भी अभी तक नहीं मिला है।

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