भोपालमध्य प्रदेश

निर्धन तबके के मछुआरों के कल्याण के लिए प्रयास बढ़ाएँ : मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की विशेष पहचान बन सकती है। मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग गरीब तबके के मछुआरों के कल्याण के लिए योजनाओं को समय-सीमा में गुणवत्तापूर्ण कार्यों के साथ पूरा करें। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश की नदियों में विद्यमान मत्स्य संपदा के मछुआरों के हित में झींगा उत्पादन की संभावनाओं और उन्नत प्रजातियों के माध्यम से मत्स्य पालन गतिविधियों को बढ़ावा देने का कार्य किया जाए। भारत सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में मत्स्य बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। इन योजनाओं का प्रदेश पूरा लाभ उठाए, इस दिशा में प्रयास बढ़ाए जाएँ। शीघ्र ही प्रदेश स्तरीय मछुआ सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने आज मंत्रालय में मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग की समीक्षा बैठक में उक्त निर्देश दिये। मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव जनसंपर्क राघवेन्द्र कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्य संपदा पर पहला अधिकार गरीब मछुआरों का
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जलाशयों में उपलब्ध मत्स्य संपदा के व्यवसायिक उपयोग पर पहला अधिकार गरीब मछुआरों का है। कहीं-कहीं प्रभावशाली व्यक्ति जलाशयों पर कब्जा करने का प्रयास करते हैं। इसे पूरी तरह नियंत्रित करते हुए मछुआरों के हित में योजनाओं का संचालन हमारी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जलाशयों को चिन्हित कर श्रंखला निर्मित करने का कार्य किया जाए। मछुआ नीति में आवश्यक संशोधन कर नवीन रणनीति के अनुरूप मत्स्य पालकों के कल्याण का कार्य हो। मछली पालन सीधे-सीधे गरीबों के रोजगार से जुड़ा कार्य है। एक रोडमैप बनाकर कार्यों को अंजाम दिया जाए। मत्स्य क्रेडिट कार्ड वितरण कर मध्यप्रदेश देश में विशेष स्थान बना सकता है। मत्स्य पालकों के एफपीओ गठित कर कार्यों को गति दी जाए।

मुख्यमंत्री चौहान ने दी बधाई
मुख्यमंत्री चौहान ने भारत सरकार की योजना में बालाघाट जिले को अंतर्देशीय जल क्षेत्र में मत्स्य पालन में प्रथम पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई दी गई। जिले को विश्व मत्स्यिकी दिवस 21 नवम्बर 2021 पर भुवनेश्वर (उड़ीसा) में यह पुरस्कार दिया गया। इसी तरह भारत सरकार की मत्स्य बीज उत्पादन योजना में धार जिले के कैलाश रामचन्द्र वर्मा भी प्रथम पुरस्कार के लिए चयनित हुए थे। गत 21 नवम्बर 2020 को नई दिल्ली में वर्मा पुरस्कृत किए गए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि उपलब्धियाँ अर्जित करने का यह कार्य जारी रहना चाहिए।

मध्यप्रदेश का मत्स्य पालन परिदृश्य
प्रदेश में मत्स्य उत्पादन वर्ष 2016-17 में एक लाख 38 हजार मीट्रिक टन था, जो बढ़कर वर्ष 2021-22 के नौ माह में एक लाख 97 हजार मीट्रिक टन हो गया है। बीते वर्ष यह ढाई लाख मीट्रिक टन तक पहुँचा था। इस वर्ष भी इसी उपलब्धि की आशा है। प्रदेश में पात्र हितग्राहियों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवाने, अधिकारी/कर्मचारियों को प्रदेश के बाहर मत्स्य पालन गतिविधियों के अध्ययन के लिए भेजने, अधिक से अधिक मछुआरों को उन्नत तकनीक का मत्स्य पालन प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने, मनरेगा योजना में उपयुक्त तालाबों का चयन कर तकनीकी सहयोग प्रदान करने, जल उपलब्धता के आधार पर मत्स्य बीज संवर्धन और मत्स्य पालन गतिविधियाँ बढ़ाने, आइस प्लांट और मत्स्य आहार संयंत्र की स्थापना, तालाबों में सघन मत्स्य पालनमें नई तकनीक के उपयोग और मत्स्य पालन गतिविधियों के प्रदर्शन के कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश में 483.46 हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन तालाब निर्माण किए गए हैं।

नवाचारों पर अमल
मत्स्य बीज उत्पादन के लिए चार हेचरी स्थापित की गई है। भीमगढ़ में झींगा उत्पादन में वृद्धि हो रही है। प्रदेश में 36 फिश कियोस्क की स्थापना की जा चुकी है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में सीहोर जिले में बॉयोफ्लॉक और छिंदवाड़ा जिले में लार्ज फिश फीड मिल की गतिविधियाँ प्रारंभ हुई हैं। गांधी सागर जलाशय में फ्लोटिंग प्लेटफार्म पर मत्स्य तौल का कार्य एक नवाचार के रूप में किया गया है। यहाँ बायो टॉयलेट्स भी बनाए गए हैं। इंदिरा सागर जलाशय में जलदीप योजना में मछुओं को कार्य स्थल पर ही शासकीय योजनाओं का लाभ दिलवाने की पहल की गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button