मध्य प्रदेश

इंदौर का नौलखा बस स्टैंड हुआ हाल-बेहाल, सुविधाओं को मोहताज

इंदौर
प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर एज्युकेशन, मेडिकल, आईटी सेक्टर में नई उड़ान भर रहा है। आवागमन में अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी तक हो गई, लेकिन शहर में एक बस स्टैंड ऐसा भी है जहां आज भी पैर रखने पर गांव की याद दिला देता है। 33 साल में भी स्टैंड की जमीन पर विकास के पंख नहीं लग पाए हैं। बारिश में यह बस स्टैंड सुविधा विहिन गांव के बस स्टैंड की याद दिला देता है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी 10- 11 साल पहले इस बस स्टैंड का दौरा किया था, तब भी यही हालात थे जो आज हैं। हम बात कर रहे है, नौलखा बस स्टैंड की।  बताया जाता है कि यह बस स्टैंड ने 1989 में आकार लिया था। इस बस स्टैंड को शिफ्ट किए जाने को लेकर भी कई बार मुद्दा उठा और सिंहस्थ के दौरान तीन इमली पर बसों का संचालन किया गया, लेकिन फिर बाद में यहां पर ही शिफ्ट हो गया। हाल ही में शहर में हुई तेज बारिश ने बस स्टैंड की व्यवस्थाओं की कलई खोलकर रख दी है। वैसे तो परिसर कच्चा ही है। बारिश ने कच्चे परिसर को गड्ढों में बदल दिया है। परिसर पैदल चलने लायक तक नहीं रह गया। बस स्टैंड का रख- रखाव नगर निगम के जिम्मे है, लेकिन इसके बाद ही बस स्टैंड की सूरत अब तक नहीं बदली है। जबकि इस स्टैंड से 350 से अधिक बसों को आवागमन होता है।

मुख्यमंत्री का दौरा भी नही बदल पाया व्यवस्था
करीब दस साल पहले 9 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बस स्टैंड का दौरा किया था। तब उन्होंने अपने सपनों के शहर के इस बस स्टैंड को देखकर टिप्पणी तक कर कहा था कि लगता नहीं है कि यह बस स्टैंड इंदौर का है। किसी देहात का बस स्टैंड लगता है। इस दौरान अफसरों की फौज उनके साथ थी। उन्होंने स्टैंड का विकास किए जाने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन आज भी वहीं हालात हैं। मुख्यमंत्री के दौरे ने भी बस स्टैंड की किस्मत नहीं बदल पाया ।

चलने लायक तक नहीं जगह
बारिश में बस स्टैंड की हालात बहुत खराब है। कीचड़ की समस्या से यात्री से लेकर दुकानदार और यहां आने वाला हर व्यक्ति परेशान हो जाता है। पानी की निकासी नहीं होने से परिसर में पानी ही पानी हो रहा है। यहां पर यात्रियों के लिए आज भी कोई खास सुविधाएं नहीं है। जबकि नगर निगम ने सरवटे बस स्टैंड पर करोड़ों रुपए खर्च का उसे संवारा।

लंबी दूरी की चलती बसें
यहां से नेशनल हाईवे इंदौर-बैतुल-नागपुर रूट की बसों के साथ ही हरदा, होशंगाबाद, रेहटी, इटारसी, नसरूल्लागंज, नेमावार, खातेगांव, कन्नौद, चापड़ा, हाटपीपल्या, बागली, उदयनगर, पीपरी, पूंजापुरा के साथ ही अन्य राज्यों से आने वाली निजी ट्रेवल्स की बसों का संचालन होता है।

यह है परेशानी

  • परिसर कच्चा।
  • निजी वाहनों के लिए पार्किंग नहीं।
  • पूछताछ काउंटर नहीं।
  • पीने के पानी की व्यवस्था नहीं।
  • यात्रियों के लिए विश्राम गृह नहीं
  • ड्रेनेज की समस्या।
  • रिक्शा चालकों का हुजूम।
  • बिजली की पर्याप्त व्यवस्था नहीं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button