मध्य प्रदेश

शाजापुर में 3 नवंबर को कंस वधोत्‍सव, निभाएंगे 269 वर्ष पुरानी परंपरा

शाजापुर  ।    कंस का दरबार सज गया है, अत्याचार व घमंड के प्रतीक कंस का यह राज ज्यादा दिन नहीं चलेगा, क्योंकि अत्याचारी कंस का जल्द वध होगा। भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम व सखाओं के साथ आकर कंस को समाप्त कर देंगे। कंस वधोत्सव की यह अनूठी परंपरा का निर्वहन शाजापुर में किया जाएगा। 269 साल पुरानी इस परंपरा को निभाने के लिए कंस वधोत्सव समिति द्वारा तैयारी की जा रही है। इस आयोजन को देखने के लिए बड़ी संख्या में जिले सहित आसपास के क्षेत्र के लोग भी पहुंचेंगे। घमंड व अत्याचार के प्रतीक कंस के पुतले को कंस चौराहे पर बैठा दिया है, कंस के इस दरबार का विनाश दशमी के दिन किया जाएगा। शाजापुर शहर के सोमवारिया में कंस के पुतले को बैठा दिया गया है। देश के मथुरा के बाद शाजापुर में इस परंपरा का सैकड़ों सालों से इस परपंरा का निर्वहन किया जा रहा है। मथुरा के बाद शाजापुर में करीब 269 वर्षों से यह आयोजन लगातार हो रहा है। आयोजन को भव्यता पूर्वक मनाने के लिए समिति द्वारा तैयारियां की जा रही है। आयोजन समिति के संयोजक तुलसीराम भावसार, पदाधिकारी अजय उदासी बताते हैं कि कार्तिक माह की दशमी 03 नवंबर को कंस वधोत्सव होगा। आयोजन का यह 270 वां वर्ष रहेगा । संयोजक तुलसीराम भावसार ने बताया कि दशमी की शाम को देव व दानव की वेशभूषा में कलाकार तैयार होंगे। इसके पश्चात देव व दानवों का जुलूस निकला जाएगा। यह जुलूस बालवीर हनुमान मंदिर से, धानमंड़ी चौराहा, किलारोड, छोटा चौक होते हुए आजाद चौक में पहुंचेगा। यहां पर रात करीब 11 बजे तक देव व दानवों में चुटीले संवादों का वाक युद्ध होगा। पारंपरिक वेशभूषा में सजे धजे कलाकार देर रात तक वाक युद्ध करेंगे। चुटीले संवादों का लोग लुत्फ लेंगे। रात 11 बजे कलाकार आजाद चौक से सोमवारिया बाजार में कंस चौराहा पर पहुंचेंगे। कंस चौराहा पर भी वाक युद्ध होगा। 11. 45 बजे गवली समाजजनों के पहुंचने पर वरिष्ठों का सम्मान किया जाएगा। इसके पश्चात रात 12 बजते ही कंस वध किया जाएगा। पांरपरिक वेषभूषा में श्रीकृष्ण बने कलाकार द्वारा कंस के पुतले का वध करेंगे। सिंहासन से नीचे गिरते हुए पुतले को गवली समाजजन लाठियां भांजते हुए पीटते हुए घसीटते हुए ले जाएंगे।

ढाल व तलवार लिए कंस का पुतला

आयोजन समिति द्वारा चौराहे पर जो कंस का पुतला तैयार किया गया है उसके एक हाथ में तलवार तो दूसरे हाथ में ढाल है। लाल रंग के वस्त्र पहने हुए पुतला काफी क्रोधित मुद्रा में लग रहा है। लेकिन अत्याचार के प्रतीक कंस को भगवान श्री कृष्ण समाप्त करेंगे। कंस वधोत्सव की भगवान श्री कृष्ण की लीला पर आधारित आयोजन का क्षेत्रवासियों को इंतजार है।

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