ग्वालियरमध्य प्रदेश

अस्पताल के कायाकल्प में लाखों खर्च, फिर भी नहीं बदली काया

शिवपुरी ।   जिला अस्पताल में कायाकल्प के नाम पर अस्पताल प्रबंधन ने लाखों रुपये खर्च कर दिए हैं लेकिन इसके बावजूद अस्पताल की हालत बेहद दयनीय बनी हुई है। यह हकीकत रोगी कल्यण समिति के सदस्यों द्वारा किए गए अस्पताल के निरीक्षण में सामने आई। अस्पताल की हालत पर रोगी कल्याण समिति के सदस्यों ने जमकर नाराजगी जाहिर की और इसके बाद सिविल सर्जन के समक्ष भी इस बात को रखा। रोगी कल्याण समिती के सदस्यों के अनुसार यह सुनकर सिविल सर्जन खुद को रोगी कल्याण समिती से भी ज्यादा महत्वपूर्ण काम बताकर वहां से चले गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में बुधवार की दोपहर रोगी कल्याण समिति की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में जाने से पूर्व रोगी कल्याण समिति के सदस्य संजय सांखला व छत्रपाल गुर्जर ने जिला अस्पताल की ओपीडी सहित अन्य कई यूनिट का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान ओपीडी में कई चैंबरों से ड्यूटी टाइम में भी डाक्टर नदारद मिले। बाथरूम के गेट टूटे हुए थे और कई चैंबरों के बाथरूम गंदे मिले। इस पर रोगी कल्याण समिति के सदस्यों ने नाराजगी जाहिर की। इसके अलावा एनसीडी में बैठने वाली नर्सेस के चैंबर के बाथरूम का गेट टूटा हुआ था। आरएसके के सदस्यों ने इस पर नर्सों से पूछा कि यह गेट टूटा हुआ है। क्या इसकी जानकारी आपने अस्पताल प्रबंधन को दी है? तो नर्सेस का कहना था कि वह लिखित में इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन को काफी दिन पहले अवगत करा चुके हैं, लेकिन यह गेट सही नहीं हुआ है। सभी चैंबरों में दीवारें बेहद खराब हो रहीं थीं और उन पर सीलन की गंध आ रही थी। इस पर सदस्यों ने काफी नाराजगी जाहिर की और कहा कि अस्पताल प्रबंध ने अस्पताल के कायाकल्प के नाम पर लाखों रूपये कागजों में खर्च दर्शाया है लेकिन वास्तविकता में अस्पताल की काया नहीं बदल पा रही है। अस्पताल में मिली तमाम खामियों को लेकर जब दोनों सदस्य सिविल सर्जन डा आरके चौधरी के पास पहुंचे और उन्हें अस्पताल के हालातों से अवगत कराया। सदस्यों के अनुसार बताई गई समस्याओं पर जबाब देने की बजाय सिविल सर्जन चेम्बर से यह कहते हुए भाग गए कि उन्हें जरूरी काम है। सदस्यों का कहना है कि सिविल सर्जन के लिए रोगी कल्याण समिती और अस्पताल की समस्याओं से ज्यादा जरूरी काम क्या हो सकता है?

सबको एक्स-रे फिल्म दे रहे हो या नहीं

लंबे समय से अस्पताल में मरीजों को एक्स-रे फिल्म नहीं मिलने की शिकायत मिल रही थी, इसी के चलते उन्होंने रेडियोलाजी विभाग में जाकर वहां मौजूद स्टाफ से बात की। डाक्टर का कहना था कि डिजिटल फिल्म में थोड़ी परेशानी आ रही है। इस संबंध में सीएमएचओ आफिस से जानकारी लेने की बात कही। कुल मिलाकर डाक्टर ने कोई स्पष्ट जबाब नहीं दिया। उन्होंने सदस्यों से यह कहा कि फिलहाल तो हम सभी को एक्स-रे फिल्म दे रहे हैं। अगर खत्म हो जाएंगी तो दिक्कत आएगी।

बंद लिफ्ट को पंद्रह दिन खराब बताया

अस्पताल की एक लिफ्ट बंद मिली। बंद लिफ्ट के संबंध में जब उन्होंने वहां मौजूद कर्मचारी से बात की तो कर्मचारी का कहना था कि यह लिफ्ट पंद्रह दिन से खराब हो गई है, जबकि वास्तविकता में वह लिफ्ट कभी चालू ही नहीं हुई है।

आरकेएस की मीटिंग में नहीं पहुंचे डाक्टर

जिला अस्पताल परिसर में बनने वाली केंटीन को लेकर रोगी कल्याण समिती की बैठक बुधवार को आयोजित की गई थी। इस बैठक में छत्रपाल सिंह गुर्जर, संजय सांखला, डा आरके चौधरी, डा आलोक श्रीवास्तव, डा अंजना जैन, इंजीनियर राम कुमार सिनोरिया, प्रभारी स्टीवर्ट सागर सोनी को उपस्थित होना था, लेकिन बैठक में डा आरके चौधरी, डा आलोक श्रीवास्तव सहित छत्रपाल सिंह गुर्जर और संजय सांखला ही उपस्थित हुए। शेष लोग बैठक में आए ही नहीं जो उनकी लापरवाही को दर्शाता है।

इनका कहना है

 हमने अस्पताल का निरीक्षण किया, निरीक्षण में काफी खामियां सामने आईं। गेट टूटे हुए थे, कई डाक्टर ड्यूटी टाइम में नदारद थे। अस्पताल की मरम्मत पर लाखों रुपये खर्च कर दिया गया है, लेकिन अस्पताल के हालात बदतर हैं। इस बारे मे हमने जब सिविल सर्जन से बात की तो वह वहां से खुद को जरूरी काम बताकर चले गए। उन्होंने अस्पताल की समस्याओं के निराकरण पर बात करना ही उचित नहीं समझा। 

संजय सांखला, सदस्य, आरकेएस

अभी कायाकल्प का काम पूरा नहीं हुआ है, अभी कायाकल्प का काम चल रहा है। जहां-जहां पर कमी रह गई है, हम उसे पूरा करवा लेंगे। मैं वहां से इसलिए चला गया था क्योंकि मुझे कोई दूसरा महत्वपूर्ण काम था।

डा आरके चौधरी, सिविल सर्जन

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