पालीटेक्निक में 50% से कम एडमिशन, लेक्चरर और अन्य स्टाफ पर सालाना करोड़ों खर्च
भोपाल
तकनीकी शिक्षा विभाग पालीटेक्निक में चलने वाले एमओएम (मार्डन आफिस मैनेजमेंट) कोर्स में पचास फीसदी से कम प्रवेश है। इसके बाद भी विभाग लेक्चरर और अन्य स्टाफ पर सालाना करोड़ों रुपए का खर्च हो रहे हैं। जबकि आज एमओएम कोर्स की उपयोगिता को खत्म करते हुए आईटी ब्रांच ने स्थान बना लिया है।
पालीटेक्निक में एमओएम कोर्स आज फिजूल खर्ची बढ गई है। बीस साल पुराने कोर्स को विद्यार्थी पढने में ज्यादा रूचि नहीं दिखा रहे हैं। क्योंकि आज आईटी और सीएस ने अपनी उपयोगिता बढा दी है। इससे नौकरियों में एमओएम नहीं बल्कि आईटी और सीएस की डिग्री और डिप्लोमा की मांग करने लगे हैं। इससे इसकी उपयोगिता कम होने लगी है। विद्यार्थियों का कहना है कि एमओएम तीन साल का डिप्लोमा कोर्स है। जबकि उक्त समय में डिग्री पूरी की जा सकती है। इसलिए उन्हें उच्च शिक्षा विभाग के बीएससी और आईटी में प्रवेश मिलकर डिग्री कर सकते हैं।
विगत छह वर्षों में एक दर्जन से ज्यादा पालीटेक्निक में चलने वाले एमओएम में ज्यादा प्रवेश की स्थिति नहीं हैं। जबकि वहां स्टाफ शत प्रतिशत नियुक्त किया गया है। प्रोफेसरों का कहना है कि शासन को कोर्स का युक्तियुक्तकरण करना चाहिए, ताकि शासन का मासिक लाखों रुपए के खर्च का सही उपयोग हो सके।
राजधानी के 2 पॉलीटेक्निक में एमओएम
प्रदेश के 14 पालीटेक्निक में एमओएम चल रहा है। इसमें भोपाल का महिला पालीटेक्निक और सरदार वल्लभ पालीटेक्निक शामिल है। सभी सभी पालीटेक्निक में एमओएम का अच्छी संख्या में स्टाफ मौजूद है, जिन्हेंं करोडों रुपए का सालाना वेतन दिया जा रहा है। वर्तमान सत्र 2022-23 में 14 पालीटेक्निक में एमओएम की 905 सीटें हैं, जिसमें 350 प्रवेश बामुश्किल हुए हैं। साठ-साठ सीटें होने के बाद दो पालीटेक्निक में सात-सात प्रवेश हुए हैं। जबकि शासन चालीस लेक्चरर का एक से सवा लाख रुपए सालाना वेतन आवंटित कर रहा है। यह खर्च विद्यार्थियों के प्रवेश से काफी ज्यादा है।
21 साल पहले शुरू हुआ था कोर्स
तकनीकी शिक्षा विभाग ने 1991 में टेक्यूप के माध्मय से पालीटेक्निक में एमओएम कोर्स शुरू किया था, जिसे संचालित होते करीब 21 वर्ष हो गये हैं। इसमें एमकाम और एमए डिग्रीधारियों को नियुक्त गया था। कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को स्टेनो और टाइपिट बनाया जाता था, लेकिन आज के परिवेश में आईटी आने से एमओएम कोर्स की औचित्य खत्म हो गया है। इसलिए प्रोफेसरों का कहना है कि विभाग को एमओएम का युक्तियुक्तकरण करना चाहिए।