मेनिट: कुर्की से बचने जमा करना होगा 12 करोड़ रुपए
भोपाल
एक निजी निर्माण कंपनी को पेमेंट के मामले में मेनिट को हाइकोर्ट से राहत नहीं मिली है। मेनिट को 18 फरवरी तक 12 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे। 3 फरवरी को कोर्ट अंतिम फैसला करेगा।
मौलाना आजाद राष्टÑीय प्रोद्योगिकी संस्थान (मेनिट) में तीन इमारतों के 12 करोड़ नहीं चुकाने पर हाईकोर्ट सख्त हो गया है। इसके चलते भोपाल कोर्ट ने कुर्की के आदेश जारी कर दिये थे। इसके चलते मेनिट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन हाईकोर्ट ने 12 करोड़ रुपये कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है। तीन मार्च तक अंतिम फैसला देने का निर्णय तक कर दिया है। साहेब इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को करीब 12 करोड़ रुपये मेनिट प्रबंधन से लेना है। क्योंकि मेनिट ने सात साल पहले उन्हें तीन इमारतें तैयार करने का टेंडर दिया था। 48 करोड़ के निर्माण में से नौ करोड़ करोड़ 80 लाख शेष है, जिसे मेनिट देने को तैयार नहीं हैं। ये राशि ब्याज के साथ तीन साल में करीब साढेÞ 12 करोड़ है।
अधिकारियों की लापरवाही से खर्च करोड़ों की राशि
आर्बिटेÑटर ने भी माना है कि मेनिट प्रबंधन ने करोड़ रुपये की फिजूल खर्ची की है। अधिकारियों की करतूतों के कारण मेनिट को करोड़ों रुपये का ब्याज चुकाना पडेÞगा। इसके चलते मेनिट की छवि भी धूमिल हो रही है। मेनिट के अधिकारियों का कहना है कि ऐसी करोड़ों रुपये की फिजूल खर्ची की रिकवरी प्रकरण में जुड़े अधिकारियों से होना चाहिए।
मेनिट ने नामकरण का दिया था प्रस्ताव
निर्माण कंपनी ने भी अदालत की शरण ली। जहां से आर्बिट्रेटर नियुक्त कर दिया गया। कोर्ट ने भी कंपनी का पक्ष सही माना है। मेनिट के वरिष्ठ अफसरों द्वारा निर्माण के दौरान कमीशन मांगने पर पूरा मामला बिगड़ा था। घटनाक्रम के बाद मेनिट प्रबंधन ने कंपनी से कहा था कि जिन बिल्डिंग का मामला है उनका नामकरण कंपनी किसी के भी नाम पर करा सकती है। मेनिट ने इसके जरिये राष्ट्रहित में राशि की बचत आदि का तर्क भी दिया था। पर कंपनी ने मेनिट के इस प्रस्ताव को नहीं माना और राशि पर अड़ी रही।
इस संबंध में डायरेक्टर रघुवंशी बोर्ड आॅफ गर्वनर की बैठक में प्रस्ताव रख चर्चा तक कर चुके हैं। इसमें उन्हें कोई सफलता नहीं मिली है।