भोपालमध्य प्रदेश

कुंडलपुर के पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के लिए सुनिश्चित होंगी आवश्यक व्यवस्थाएँ : मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी की प्रेरणा और पहल से हो रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के लिए आवश्यक अधो-संरचनात्मक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया जाएगा। आचार्य जी की भावनाओं का पूरा सम्मान करते हुए राज्य सरकार जरूरी प्रबंध करेगी। आयोजन समिति के साथ ही सभी संबंधित विभाग महोत्सव के लिए सुरक्षा, विद्युत, पेयजल, यातायात और अन्य सुविधाएँ विकसित करने में सहयोग करेंगे। मुख्यमंत्री चौहान आज मंत्रालय में गजरथ महोत्सव और महामस्तकाभिषेक 2022 के संबंध में चर्चा करने आए कुंडलपुर सिद्ध क्षेत्र समिति के प्रतिनिधि-मंडल को संबोधित कर रहे थे। केन्द्रीय जलशक्ति एवं खाद्य प्र-संस्करण, उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा में शामिल हुए। इस अवसर पर नव-निर्मित मंदिर का लोकार्पण भी होगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर रेल परिवहन व्यवस्था के लिए केन्द्र सरकार से भी अनुरोध किया जाएगा। महा महोत्सव आगामी फरवरी और मार्च माह में 40 दिवस आयोजित करने की रूपरेखा बनाई गई है।

मुख्यमंत्री चौहान ने आयोजन से संबंधित आवश्यक कार्यों के लिए विभिन्न विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय एम. सेलवेन्द्रन और उप सचिव डॉ. मनीष कुमार को आवश्यक समन्वय के लिए अधिकृत भी किया। कुंडलपुर में बड़े बाबा के मंदिर में लगभग 5वीं-6वीं सदी की बड़े बाबा की करीब 15 फीट ऊँची पद्मासन प्रतिमा है। यहाँ विश्व के सबसे ऊँचे जैन मंदिर के निर्माण के लिए कार्य प्रगति पर है।

मुख्यमंत्री चौहान को कुंडलपुर क्षेत्र के विकास से संबंधित विभिन्न सुझाव भी केन्द्रीय मंत्री पटेल एवं प्रतिनिधि-मंडल के सदस्यों ने दिए। अपर मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मलय श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव लोक निर्माण नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास मनीष सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव एम. सेलवेन्द्रन और उप सचिव डॉ. मनीष कुमार उपस्थित थे।

कुंडलपुर का महत्व

कुंडलपुर बुंदेलखंड अंचल, सागर संभाग या सिर्फ मध्यप्रदेश का ही प्रमुख प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण मनोरम स्थल नहीं, बल्कि देश-विदेश के प्रमुख जैन तीर्थों में शामिल है। दमोह जिला मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। करीब 189 फीट ऊँचे शिखर वाले मंदिर परिसर के लिए विभिन्न स्थानों के पत्थर उपयोग में लाए गए हैं। इनमें राजस्थान और गुजरात के लाल एवं पीले पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्थापत्य कला की नागर शैली से यहाँ निर्माण हो रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button