एनजीटी ने दिया निर्देश, जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री पर सात दिन में कार्रवाई करें, जांच करके 6 सप्ताह में रिपोर्ट सौंपे
कलेक्टर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी करेंगे जांच
सीहोर। जिला मुख्यालय के नजदीकी गांव पिपलियामीरा में चल रही जयश्री गायत्री फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (पनीर फैक्ट्री) की जांच के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिए हैं। एनजीटी ने कहा है कि इस मामले में सात दिनों में पनीर फैक्ट्री पर कार्रवाई करके 6 सप्ताह में इसकी रिपोर्ट सौंपे। इसके लिए जिला कलेक्टर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं मध्यप्रदेश नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की जांच समिति भी बनाने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की सुनवाई एनजीटी में न्यायाधीश श्यो कुमार सिंह एवं न्यायिक सदस्य अरूण कुमार वर्मा ने की। इस मामले की पैरवी ग्रामीणों की तरफ से एडवोकेट आयुष देव वाजपेयी ने की।
पिपलियामीरा में चल रही पनीर फैक्ट्री से निकलने वाले कैमिकलयुक्त पानी को एनजीटी ने बेहद गंभीर मामला माना है। यह पानी सीवन नदी में छोड़ा जा रहा है। इसके कारण जहां आसपास के क्षेत्रों के जलस्त्रोत, ट्यूबबेल, कुओं का पानी जहरीला हो गया है, तो वहीं किसानों के खेतों की सेहत भी खराब हो गई है। इस मामले को लेकर पिपलियामीरा के ग्रामीणों ने एनजीटी में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के बाद एनजीटी ने इस मामले में 17 फरवरी को सुनवाई हुई। इसमें ग्रामीणों की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट आयुष देव वाजपेयी ने पक्ष रखा। उन्होंने एनजीटी के न्यायाधीश श्यो कुमार सिंह एवं न्यायिक सदस्य अरूण कुमार वर्मा को बताया कि जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री नियमों को धत्ता बताकर संचालित की जा रही है। इस पनीर फैक्ट्री से निकलने वाले कैमिकलयुक्त पानी की वजह से पिपलियामीरा के ग्रामीणों के अलावा आसपास के कई गांवों के लोग बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। किसानों के खेत खराब हो रहे हैं। जल में रहने वाले जीव-जंतु पूरी तरह नष्ट हो गए हैं।
एनजीटी ने माना, सीओडी-बीओडी का स्तर तय मानकों से ज्यादा-
एनजीटी ने इस मामले को गंभीरतापूर्वक सुनने के बाद इस पर निर्णय दिया है। एनजीटी ने माना है कि पनीर फैक्ट्री परिसर में स्थित दूषित जल उपचार संयंत्र (क्षमता 200 केएलडी) उपयुक्त रूप से संचालित नहीं हो रहा है। एरेशन टैंक में ऊपरी सतह पर स्लज का भराव देखा गया है। एनजीटी ने यह भी कहा है कि उद्योग के दूषित जल का निस्तारण पाईप लाइन के माध्यम से परिसर के बाहर समीपस्थ भूमि में निस्तारित होना पाया गया है, साथ ही इस पानी का भराव भी हो रहा है। उद्योग द्वारा नवीन दूषित जल उपचार संयंत्र को पूर्ण कर संचालन भी शुरू नहीं किया गया। एनजीटी ने कहा है कि उद्योग के निरीक्षण के दौरान एकत्रित किए गए उपचारित जल नमूमों के विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार एकत्रित उपचारित जल नमूनों में सीओडी तथा बीओडी का स्तर निर्धारित मानकों से ज्यादा पाया गया है।
इधर ग्रामीणों की पीड़ा, क्यों कार्रवाई नहीं करता प्रशासन-
इधर पिपल्यामीरा के ग्रामीण मांगीलाल मेवाड़ा, भागीरथ मेवाड़ा, कालूराम, नारायण सहित सैकड़ों ग्रामीणों की पीड़ा है कि आखिरकार प्रशासन इस फैक्ट्री पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है। फैक्ट्री के कारण उनके घर-परिवार के बच्चे बीमार हो रहे हैं, गांव के 80 प्रतिशत लोग दवाइयां खा-खा कर अपना जीवन चला रहे हैं। जो इनकम हो रही है वह पूरी बीमारियों में जा रही है। पनीर फैक्ट्री की शिकायत कई बार जिला प्रशासन सहित वरिष्ठ अधिकारियों से कर दी है, लेकिन आखिरकार प्रशासन इस मामले में कोई भी कार्रवाई करने से कतरा क्यों रहा है?